scriptकंधे के दर्द को न बनाएं असहनीय | Dont make shoulder pain unbearable | Patrika News

कंधे के दर्द को न बनाएं असहनीय

locationजयपुरPublished: Mar 08, 2018 05:04:51 am

आज की व्यस्त जीवनशैली में छोटे-मोटे दर्द को नजरअंदाज करना हमारी आदत बनती जा रही है। कई बार यह आदत बीमारियों का कारण भी बन जाती है।

 shoulder pain

आज की व्यस्त जीवनशैली में छोटे-मोटे दर्द को नजरअंदाज करना हमारी आदत बनती जा रही है। कई बार यह आदत बीमारियों का कारण भी बन जाती है। उन्हीं में से एक है कंधे में दर्द (शोल्डर पेन)। गठिया, दुर्घटना होने या मांसपेशियों के फटने के कारण कंधे के इलाज व गंभीर समस्या होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

कंधे की समस्या में शुरुआती लक्षण हल्का दर्द होता है। धीरे-धीरे मूवमेंट कम होना (फ्रोजन शोल्डर), मांसपेशियों के फटने से हाथ ठीक से न उठ पाना (रोटेटर कफ टियर), कंधा बार-बार उतरना (रिकरेंट डिसलोकेशन शोल्डर) जैसी परेशानियां भी होने लगती हैं। कंधे, कूल्हे व घुटने को पूरी तरह से प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसलिए ऐसा होने पर तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क कर सलाह लें।

कंधे में दर्द
दर्द का कारण पता लगाए बिना वजह नहीं बतायी जा सकती। कई बार दुर्घटना होने पर कंधा फ्रेक्चर हो जाता है। ऐसे में ठीक से देखभाल न मिलने या एक्सरसाइज सही तरह से न किए जाने पर भी दर्द के अलावा जकडऩ हो सकती है।

फ्रोजन शोल्डर
यह बीमारी अमूमन 45 साल की उम्र के आसपास होती है। डायबिटीज के रोगियों व महिलाओं में यह समस्या ज्यादा होती है। मूवमेंट न होने से इसमें रोजाना के कामों में काफी दिक्कत आती है। इसे ठीक करने में फिजियोथैरेपी अति आवश्यक होती है। स्थिति गंभीर होने पर इंजेक्शन लगाकर भी इलाज किया जाता है।

रोटेटर कफ टियर
उम्र बढऩे के साथ चोट लगने या भारी वजन उठाने से मांसपेशियां फट सकती हैं जिससे मरीज को कंधे में दर्द व हाथ उठाने में तकलीफ होती है। रात में इस दर्द से मरीज को नींद न आने की समस्या बढ़ जाती है। इसके लिए ऑर्थोस्कोपी रोटेटर कफ रिपेयरिंग सर्जरी की जाती है।

रिकरेंट डिसलोकेशन शोल्डर
कई मरीजों में असामान्य गतिविधि या चोट लगने से कंधे की बॉल अपनी जगह से खिसक जाती है। कुछ मरीजों में यह दिक्कत बार-बार होती है। इसके लिए दूरबीन द्वारा ऑर्थोस्कोपी बैंकार्ट रिपेयर सर्जरी की जाती है जिसमें मरीज के कंधे पर सिर्फ तीन टांके आते हैं।

कंधा प्रत्यारोपण
बढ़ती उम्र में आर्थराइटिस, पुरानी दुर्घटना के मामलों या कंधे की बॉल में खून की कमी से कंधे का जोड़ क्षतिग्रस्त होने से मरीज को रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत होती है। ऐसे में जोड़ प्रत्यारोपण बेहतर विकल्प है।

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