आंख में संक्रमण के कारण पुतलियों पर पड़ता है ये असर
जयपुरPublished: Jun 19, 2019 10:52:19 am
आंखों के कॉर्निया (आंख की पुतली) में इंफेक्शन कैराटाइटिस कहलाता है। इसमें आंखों के बीच स्थित काले घेरे की पारदर्शिता खत्म होने से सफेदी आ जाती है जिससे पूरी पुतली प्रभावित हो सकती है। फंगस, वायरस व परजीवी के संपर्क में आने से परेशानी होती है। इसके अलावा आंखों में गंदगी इकट्ठा होने, साफ-सफाई की कमी व नमी से इंफेक्शन होता है जो रोग को बढ़ाता है।
लक्षण : बैक्टीरियल इंफेक्शन में आंखों में लालिमा, दर्द व गंभीर अवस्था में सूजन आ जाती है। वायरल व फंगल के लक्षण भी समान हैं फर्क सिर्फ इतना है कि इनमें लक्षणों की पहचान शुरुआत में न होकर स्थिति गंभीर होने पर होती है।
किन्हें ज्यादा खतरा
जो धूल-मिट्टी के संपर्क में अधिक रहते हैं। डायबिटीज व क्रॉनिक रोगों के मरीज या एंटी कैंसरस ड्रग का प्रयोग करने वालों में इसकी आशंका अधिक रहती है। कमजोर इम्युनिटी वाले या नमी वाली जगह पर रहने वालों में यह रोग हो सकता है।
गंभीर अवस्था
इसमें कॉर्नियल अल्सर बनता है जिसमें कॉर्निया में पस भर जाता है, इसे हाइपोपियोन कहते हैं। कॉर्निया में सूजन रहने के साथ नजर कमजोर होने लगती है इससे चीजें धुंधली दिखती हैं।
इलाज : आंसू का नमूना लेकर कल्चर टैस्ट करते हैं। इसमें बैक्टीरिया, वायरस या फंगस की सूक्ष्म स्तर पर जांच होती है जिससे कौनसे जीव से रोग पनपा, का पता चलता है। ड्रॉप्स व एंटीबायोटिक दवा देते हैं। बैक्टीरियल का एंटीबैक्टीरियल दवा या फॉर्टिफाइड एंटीबायोटिक ड्रॉप्स से इलाज करते हैं।
डॉ. अजय कपूर, नेत्र रोग विशेषज्ञ, जयपुर