कारण
शरीर से जुड़ी 300 तरह की बीमारियों में से कोई एक बौनेपन का कारण होती है लेकिन इससे ग्रसित 70 प्रतिशत व्यक्तियों में बौनेपन की वजह पीयूष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित ग्रोथ हार्मोन का न बनना होता है। दूसरा मुख्य कारण जिसे एकोण्ड्रोप्लेजिया कहते हैं इसमें शरीर के जोड़ों में असमानता व लचीलापन होता है। यह समस्या आनुवांशिक होती है। इसमें एफजीएफआर-3 नामक जीन में बदलाव से हड्डियों की वृद्धि नहीं होने के कारण बौनापन हो जाता है।
उपचार
एक साल की उम्र तक बच्चे का उचित विकास न हो तो माता-पिता को एंडोक्रायोनोलॉजिस्ट या न्यूरोसर्जन से संपर्क करें। विशेषज्ञ बच्चे को तीन साल तक ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद बौनेपन के बारे में निर्णय लेते हैं। 5-7 साल की उम्र में ग्रोथ हार्मोन इंजेक्शन लगाए जाते हैं। हर तीन माह में रक्त जांच करके हार्मोंस वृद्धि का पता लगाया जाता है। यदि नतीजे पॉजिटिव होते हैं तो दोबारा इंजेक्शन लगाया जाता है। यह प्रक्रिया 13-17 साल की उम्र तक चलती है।
डॉ. नगेन्द्र शर्मा, सीनियर न्यूरोसर्जन
शरीर से जुड़ी 300 तरह की बीमारियों में से कोई एक बौनेपन का कारण होती है लेकिन इससे ग्रसित 70 प्रतिशत व्यक्तियों में बौनेपन की वजह पीयूष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित ग्रोथ हार्मोन का न बनना होता है। दूसरा मुख्य कारण जिसे एकोण्ड्रोप्लेजिया कहते हैं इसमें शरीर के जोड़ों में असमानता व लचीलापन होता है। यह समस्या आनुवांशिक होती है। इसमें एफजीएफआर-3 नामक जीन में बदलाव से हड्डियों की वृद्धि नहीं होने के कारण बौनापन हो जाता है।
उपचार
एक साल की उम्र तक बच्चे का उचित विकास न हो तो माता-पिता को एंडोक्रायोनोलॉजिस्ट या न्यूरोसर्जन से संपर्क करें। विशेषज्ञ बच्चे को तीन साल तक ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद बौनेपन के बारे में निर्णय लेते हैं। 5-7 साल की उम्र में ग्रोथ हार्मोन इंजेक्शन लगाए जाते हैं। हर तीन माह में रक्त जांच करके हार्मोंस वृद्धि का पता लगाया जाता है। यदि नतीजे पॉजिटिव होते हैं तो दोबारा इंजेक्शन लगाया जाता है। यह प्रक्रिया 13-17 साल की उम्र तक चलती है।
डॉ. नगेन्द्र शर्मा, सीनियर न्यूरोसर्जन