scriptसिजोफ्रेनिया के शीघ्र उपचार से आत्महत्या की दर में गिरावट संभव | Early treatment of schizophrenia can reduce rate of suicide | Patrika News

सिजोफ्रेनिया के शीघ्र उपचार से आत्महत्या की दर में गिरावट संभव

Published: May 19, 2018 03:05:25 pm

सिजोफ्रेनिया ऐसी मानसिक समस्या है, जो आत्महत्या का कारण बनती है।

schizophrenia

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सिजोफ्रेनिया ऐसी मानसिक समस्या है, जो आत्महत्या का कारण बनती है। एक अध्ययन के मुताबिक सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त लोगों में मौत का जोखिम तीन गुना बढ़ जाता है और कम उम्र में ही उनकी जान जाने की संभावना बढ़ जाती है। सिजोफे्रनिया मानसिक बीमारी का गंभीर रूप है, जिससे देश के शहरी क्षेत्रों में प्रति हजार लोगों में लगभग 10 लोग ग्रस्त होते हैं और इसके मरीजों में ज्यादातर 16 से 45 वर्ष उम्र के लोग होते हैं। भारत में सिजोफ्रेनिया के करीब 90 प्रतिशत लोगों का इलाज नहीं हो पाता है।

यह बीमारी 16 से 45 वर्ष आयु वर्ग में सर्वाधिक पाई जाती है। इसमें मरीज को ऐसी चीजें दिखाई व सुनाई देने लगती हैं, जो वास्तविकता में हैं ही नहीं। जिस कारण वे बेतुकी बातें करते हैं और समाज से कटने का प्रयास करते हैं। ऐसे में मरीज का सामाजिक व्यक्तित्व पूरी तरह खत्म हो जाता है। इस बीमारी के काफी मरीजों में आत्महत्या की भावना भी पैदा हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि इसका तत्काल और समुचित इलाज शुरू हो। दुनिया भर में सिजोफे्रनिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 24 मई को विश्व सिजोफे्रनिया दिवस मनाया जाता है।

उनके पास इलाज के लिए आने वाले मानसिक मरीजों में करीब 25 प्रतिशत मरीज सिजोफ्रेनिया के होते हैं। यह बीमारी मुख्यत: अनुवांशिक कारणों, पारिवारिक झगड़ों, तनाव, अशिक्षा, नशा आदि के कारण होती है। अगर समय रहते मरीज डॉक्टर से मिलें तो महज आठ-10 माह के इलाज में उसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

यह बीमारी युवा अवस्था में सबसे अधिक पनपती है। लिहाजा इस उम्र वाले किशोर और युवकों में इस तरह के लक्षण दिखने पर जरूर विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, ताकि बीमारी की स्थिति में जल्द से जल्द इसे ठीक किया जा सके। जानकारी के अभाव में कई लोग ऐसे लक्षणों को बीमारी नहीं मानते हैं। जब मरीज गंभीर हो जाता है तो तब उसे डॉक्टर के पास लाया जाता है, जिससे इलाज में काफी समय लगता है। इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज संभव है। इसमें दवा के साथ ही काउंसलिंग से भी मरीज को ठीक किया जाता है।

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