स्पाई ग्लास एंडोस्कोपी से पित्तनली का इलाज आसान
जयपुरPublished: May 08, 2019 10:46:15 am
यदि पित्तनली में कोई समस्या होती है तो डॉक्टर 90 फीसदी बीमारियों का इलाज सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड या एंडोस्कोपी रिपोर्ट के आधार पर करते हैं।
मुख्य कार्य बाइल जूस को बनाना व स्त्रावित करना है
पित्तनली नाभि के ऊपरी हिस्से में लिवर और भोजन नली के बीच होती है। इसका मुख्य कार्य पाचन दुरुस्त रखने वाले बाइल जूस को बनाना व स्त्रावित करना है। यह 3-6 सेमी लंबी व 6 मिलीमीटर मोटी होती है। इसे सीधे देखना संभव नहीं है। अगर पित्तनली में कोई समस्या होती है तो डॉक्टर 90 फीसदी बीमारियों का इलाज सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड या एंडोस्कोपी रिपोर्ट के आधार पर करते हैं। दस फीसदी मामलों में बीमारी पकड़ में नहीं आती। लेकिन नई स्पाई ग्लास एंडोस्कोपी तकनीक से इसे कम्प्यूटर पर देखकर बीमारी की पहचान व इलाज दोनों में आसानी होगी।
तीन प्रमुख परेशानियां
मरीजों में पथरी, कैंसर व अपशिष्ट के कारण आने वाली रुकावटें आम हैं। इसमें रुकावट से पीलिया भी हो सकती है।
बड़ी पथरी तोडऩे में लेजर है कारगर
मौजूदा एंडोस्कोपी मशीनों की तुलना में स्पाई ग्लास एंडोस्कोपी मशीन लेजर से बड़ी पथरी को तोड़कर निकालने और पित्त नली के कैंसर का पता लगाने में सक्षम है। पित्तनली पतली होने से बड़ी पथरी को अन्य एंडोस्कोप से निकालने में नली फटने का खतरा रहता था। इसलिए सर्जरी से पथरी निकाली जाती है। लेकिन स्पाई ग्लास एंडोस्कोपी में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। यह सुविधा में एसएमएस हॉस्पिटल में नहीं हैं लेकिन जयपुर में है।
कैंसर जांच के लिए बायोप्सी
पित्तनली की जांच के दौरान यदि डॉक्टर को लगता है कि नली में रुकावट करने वाला अपशिष्ट कैंसर हो सकता है तो बायोप्सी के लिए नमूना भी लिया जा सकता है।
डॉ. संदीप निझावन, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट