scriptलो डोज से ब्रेन स्ट्रोक के क्लॉट का कारगर इलाज | Effective treatment of brain stroke clot from low dose | Patrika News

लो डोज से ब्रेन स्ट्रोक के क्लॉट का कारगर इलाज

locationजयपुरPublished: May 23, 2019 12:45:37 pm

Submitted by:

Jitendra Rangey

ब्रेन में रक्त ले जाने वाली धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन का बाधित होना या थक्का जमना ब्रेन स्ट्रोक कहलाता है। यह हाई बीपी, हार्ट अटैक, कोलेस्ट्रॉल बढऩा या तनाव जैसे करणों से हो सकता है।

brain stroke

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3 हजार मरीजों पर हुआ ट्रायल
ब्रेन स्ट्रोक में दी जाने वाली दवा की लो (कम) डोज ज्यादा असरदार हो सकती है। यह बात ‘द जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हैल्थ’ के एक शोध में निकलकर आई है। यह रिसर्च विश्व के 100 अस्पतालों के 3 हजार से अधिक स्ट्रोक के मरीजों पर की गई है। तीन महीने तक मरीजों को आरटीपीए की लो डोज देकर असर देखा गया। यह काफी हद तक ब्रेन हैमरेज का खतरा भी कम करती है।
आरटीपीए की देते हैं डोज
विश्व में ब्रेन स्ट्रोक (स्केमिक स्ट्रोक) के दौरान आरटीपीए इंट्रावीनस इंजेक्शन लगाया जाता है। यह क्लॉटिंग (थक्का) को खत्म कर ऑक्सीजन फ्लो को सुचारू करता है।
एक तिहाई कम डोज असरदार
ब्रेन स्ट्रोक में आरटीपीए की स्टैंडर्ड डोज 0.9 मिग्रा. प्रति किग्रा. (शरीर के वजन के अनुसार) दी जाती है। जबकि शोध में एक तिहाई कम डोज यानी 0.6 मिलिग्राम प्रति किग्रा. के हिसाब से देकर परीक्षण किया गया। परिणाम अच्छे रहे। लो डोज वाले दो तिहाई मरीजों के दिमाग में ब्लीडिंग कम हुई। स्टैंडर्ड डोज के मुकाबले लो डोज के मरीजों में मौत का खतरा कम हुआ। साथ ही उनमें स्ट्रोक के कारण होने वाली अपंगता के मामलों में भी कमी आई है।
शुरू के साढ़े चार घंटे अहम
ब्रेन स्ट्रोक (स्केमिक स्ट्रोक) मरीजों में अटैक के तीन से साढ़े चार घंटे के अंदर डोज देनी जरूरी होती है। यह क्लॉट को खत्म कर देती है।
भारत : 12 लाख स्ट्रोक के मरीज
भारत में हर साल करीब 12 लाख लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है। इनमें एक तिहाई मरीजों की मौत हो जाती है। एसएमएस अस्पताल में काफी समय से ऐसे मरीजों को लो डोज दी जा रही है। करीब 70 किग्रा वजनी मरीज को 50 मिलिग्राम (शरीर के वजन के अनुपात में खुराक) आरटीपीए इंजेक्शन लगाया जाता है। जिसकी कीमत लगभग 43 हजार रुपए है। यह काफी कारगर भी है।
डॉ. आर.एस. जैन, न्यूरोलॉजिस्ट
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