इक्टोपिक प्रेग्नेंसी?
इक्टोपिक प्रेग्नेंसी में बच्चा बच्चेदानी में न ठहरकर फैलोपियन ट्यूब या अण्डेदानी में ही फंस जाता है। सामान्यत: जब भी कोई महिला गर्भवती होती है तो अंडेदानी से निकला अंडा, स्पर्म (शुक्राणु) के संपर्क में आता है।
यहां से फर्टिलाइज होकर बच्चेदानी में चला जाता है लेकिन 150-300 मामलों में से कोई एक केस में फर्टिलाइज्ड ऐग बच्चेदानी तक नहीं पहुंच पाता और फैलोपियन ट्यूब में ही ठहर जाता है। यह स्थिति इक्टोपिक प्रेग्नेंसी की होती है। कई केसेज में जान जोखिम में आने पर इसका पता चलता है।
बी-अलर्ट
लक्षण: माहवारी बंद होने, रक्तस्त्राव की समस्या, चक्कर आना, पेट के निचले हिस्से या एक तरफ तेज दर्द के अलावा बेहोशी की शिकायत।
कारण: पेल्विक सर्जरी, बच्चेदानी में सूजन, बांझपन का इलाज, फैलोपियन ट्यूब में दिक्कत, यौन रोग या हार्मोन में गड़बड़ी वजह हैं।
इलाज: इस रोग में फैलोपियन ट्यूब या अंडेदानी क्षतिग्रस्त हो जाती है। जिसे ऑपरेशन कर बाहर निकलते हैं। यदि फैलोपियन ट्यूब को ज्यादा नुकसान न हो तो दूरबीन सर्जरी के जरिए भू्रण को बाहर निकालते हैं।
बन सकती हैं मां
अहम सवाल है कि क्या एक बार इक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने के बाद दोबारा कोई महिला मां बन सकती है तो इसका जवाब है हां। जब तक किसी के शरीर में काम कर रही फैलोपियन ट्यूब तथा अंडेदानी हो तब तक दोबारा गर्भ धारण किया जा सकता है। हालांकि डॉक्टर इक्टोपिक प्रेग्नेंसी के बाद उसे छह महीने का गैप लेने की सलाह देते हैं।
यदि कोई महिला इस स्थिति से गुजरें तो निराश होने की जरूरत नहीं है। मानसिक रूप से मजबूत बनीं रहें और फिर से गर्भ धारण करने का प्रयास कर सकती हैं। हालांकि मेडिकल में उपलब्ध नए उपचार काफी मददगार हैं।