देश में हर साल पैदा होने वाले लगभग ढ़ाई करोड़ बच्चों में से करीब ११ लाख बच्चे विभिन्न कारणों से जन्म के बाद कुछ ही दिनों में दम तोड़ देते हैं। इनमें से दो - तिहाई बच्चे समय से स्तनपान नहीं कराने के कारण से दम तोड़ देते हैं। जन्म के साथ ही शिशु को मां का दूध पिलाए जाने से प्रति वर्ष तीन लाख से अधिक नवजात शिशुओं को बचाया जा सकता है।
ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया (बीपीआईएनआई ) के प्रंबध निदेशक के अनुसार भारत के २२ राज्यों में कराए गए एक ताजा अध्ययन में पाया गया कि महज तीस प्रतिशत महिलाएं अपने नवाजत शिशुओं को जन्म के तुरतं बाद स्तनपान कराती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के किसी भी मंत्रालय के पास योजना आयोग द्वारा स्वीकृत बजट का कोई भी प्रावधान नहीं है। इन संगठनों ने ब्रेस्टफीडिंग कार्यक्रम को सरकार के राष्टृीय कार्ययोजना में शामिल कर इस मद में अलग से बजट को प्रावधान किए जाने की मांग की है।
योजना आयोग को सौंपे अपने मांग पत्र में इन सगठनों ने शिशु आहार कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए राष्टीय स्तर पर एक आयोग बनाने की मांग करते हुए इसके संचालन के लिए एक कारगर कार्यप्रणाली विकसित करने की मांग की है।