यह एक एेसी इकाई है जहांं गंभीर मरीजों को रखा जाता है। एेसे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। कई बार बाहर से आए लोगों के हाथ संक्रमित होने, साफ-सफाई की कमी या परिजन के किसी रोग से ग्रसित होने के कारण बैक्टीरिया मरीज तक पहुंच जाते हैं। इससे उनके लिए परेशानी बढ़ सकती है।
– ऐसे रोगियों के संपर्क में कम से कम रहें।
– आईसीयू में जाते समय हाथ स्वच्छ रखें व मास्क का प्रयोग करें।
– छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और वे लोग जो पहले से बीमार हैं, आईसीयू में जाने से बचना चाहिए।
– एेसे व्यक्ति जिनका पहले कभी लिवर, किडनी, बोनमैरो ट्रांसप्लांट हो चुका है या किसी बीमारी के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर है, वे आईसीयू में न जाएं।
स्वाइन फ्लू, हेपेटाइटिस-बी, पल्मोनरी टीबी व दिमागी बुखार (न्यूमोकोकल) जैसी बीमारियां संक्रामक होती हैं। यदि रोगी इनमें से किसी बीमारी से पीड़ित है तो बीमारी के वायरस परिजनों व तीमारदारों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
आईसीयू में गंभीर मरीजों के होने से संक्रमण का खतरा अन्य वार्ड के मरीजों से कहीं ज्यादा होता है। बाहरी लोगों के माध्यम से आए बैक्टीरिया जहां मरीज की हालत अधिक नाजुक कर सकते हैं, वहीं मरीज की खांसी, थूक, खून आदि के माध्यम से बीमारी परिजनों को भी संक्रमित कर सकती है।