डायबिटीज और हाइपरटेंशन, फैमिली हिस्ट्री, ऐसी कोई बीमारी जिसमें पेशाब कम आ रहा हो या पेशाब में प्रोटीन या रक्त आ रहा हो। आनुवांशिक बीमारी जैसे पॉलिसिस्टिक किडनी जिसमें किडनी में गांठ हो, जन्मजात विकार जो बच्चे को मां के गर्भ से मिला हो। ऑटो इम्यून डिजीज जैसे ल्यूपस जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम ऊत्तकों पर गलत प्रभाव डालता हो। मूत्रमार्ग में स्टोन, प्रोटेस्ट ग्रंथि के बढ़ने से पेशाब की समस्या, बार-बार यूरिन इंफेक्शन और दवाओं का अत्यधिक प्रयोग।
हाई ब्लडप्रेशर, एनीमिया, नसों का क्षतिग्रस्त होना, कमजोर हड्डियां, घबराहट, भूख ना लगना, आंखों के चारों ओर सूजन व पैरों या घुटने में सूजन, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा, सुस्ती व गहरी नींद आना।
बीपी, डायबिटीज, मोटापा और धूम्रपान करने वाले लोगों को किडनी के रोग होने की आशंका रहती है। इसलिए 40 की उम्र के बाद नमक कम ही खाएं। फल और कच्ची सब्जियां खाएं। सोडा या कोल्ड ड्रिंक ज्यादा ना पीएं। मक्खन, घी, चिप्स, केक और बिस्किट भी कम ही खाएं। रोजाना व्यायाम करें और धूम्रपान से दूर रहें।