गांठ बनना, असामान्य रक्त स्राव होना, लंबे समय से खांसी, किसी मस्से के रंग व आकार में बदलाव या उसमें खून आना, घाव का ठीक न होना, वजन कम होना और मल-मूत्र की आदतों में बदलाव होने पर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
भारत में पुरुष सबसे ज्यादा फेफड़े, मुंह, गले, आंत व आमाशय के कैंसर से प्रभावित होते हैं। महिलाएं बच्चेदानी के मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट, गॉल ब्लैडर व भोजननली के कैंसर से ग्रसित होती हैं।
कैंसर की पहली स्टेज में व्यक्ति के ठीक होने की संभावना सबसे ज्यादा यानी 90त्न होती है। इसके बाद दूसरी स्टेज में औसतन 70 प्रतिशत व तीसरी स्टेज में 40-50 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं। इसकी चौथी स्टेज में मरीज का दवाइयों के सहारे इलाज किया जाता है।
मरीज के लक्षणों और कैंसर की स्टेज के आधार पर कीमोथैरेपी, सर्जरी और रेडियोथैरेपी की जाती है।
कैंसर की शुरुआती अवस्था में उपचार के लिए सर्जरी की जाती है।
कीमोथैरेपी में दवाओं और नई टारगेट मॉलिक्यूलर व बायोलॉजिकल दवाओं से उपचार किया जाता है।
रेडियोथैरेपी में विकिरण से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
एडवांस स्टेज यानी तीसरी और चौथी स्टेज में इलाज के बाद भविष्य में भी दोबारा कैंसर होने की 50 प्रतिशत आशंका रहती है। जबकि पहली व दूसरी स्टेज में आशंका 20 प्रतिशत ही होती है।
– नियमित एक्सरसाइज करें और वजन न बढऩे दें। धूम्रपान व तंबाकू का सेवन न करें।
– संतुलित भारतीय भोजन खाएं। जिसमें हरी सब्जियां हों। साथ ही जंकफूड जैसे पिज्जा, बर्गर, चाउमीन आदि से परहेज करें।
– तली-भुनी और मसाले वाली चीजों से परहेज करें।
– मां अपने बच्चे को फीड जरूर कराएं इससे ब्रेस्ट कैंसर की आशंका कम होती है।
– 20 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं स्वयं ब्रेस्ट की जांच करें कि कहीं कोई गांठ तो नहीं और 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं साल में एक बार मेमोग्राफी टेस्ट जरूर करवाएं।