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जानलेवा भी हाे सकता है हैपेटाइटिस, बचाव है जरूरी

locationजयपुरPublished: Nov 21, 2018 01:29:03 pm

हैपेटाइटिस लिवर में होने वाली बीमारी है और पीलिया इसका एक लक्षण है। खून में जब बिलीरुबीन की मात्रा बढ़ जाती है

Hepatitis

जानलेवा भी हाे सकता है हैपेटाइटिस, बचाव है जरूरी

हैपेटाइटिस लिवर में होने वाली बीमारी है और पीलिया इसका एक लक्षण है। खून में जब बिलीरुबीन की मात्रा बढ़ जाती है, तब पीलिया होता है। खून में बिलीरुबीन का स्तर 1 प्रतिशत या इससे कम होता है, लेकिन जब इसकी मात्रा 2.5 प्रतिशत से ऊपर हो जाती है, तब लिवर कमजोर हो जाता है।
कैसे होता है हैपेटाइटिस
हैपेटाइटिस ए और ई: यह दूषित पानी व खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थोंं से होता है। हैपेटाइटिस ए बच्चों को होता है, जबकि ई बड़ों को होता है।

हैपेटाइटिस बी व सी: बी, सी दोनों तरह का हैपेटाइटिस गर्भस्थ शिशु, संक्रमित रक्त या सुई व असुरक्षित यौन संबंध से होता है।
हैपेटाइटिस डी: हैपेटाइटिस डी का बैक्टीरिया हैपेटाइटिस बी होने पर फैलता है। जिसे हैपेटाइटिस बी या सी हो चुका है, उसे ही डी होता है।
खानपान : पीलिया में सामान्य आहार लें।
दवाइयां : एसएमएस अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर गौरव गुप्ता का कहना है कि हैपेटाइटिस ए और बी के टीके उपलब्ध हैं। बी के टीके जन्म के समय लग जाते हैं, जिसकी 3 डोज पैदा होते ही, दूसरी जन्म के एक माह बाद और तीसरी छठे महीने में लगती है। हैपेटाइटिस ए के टीके जन्म के दो साल बाद लगते हैं, जो करीब 600-800 रुपए प्रति डोज होता है। इसके टीके किसी भी उम्र में लगाए जा सकते हैं।
भारत में सबसे अधिक
देश में सबसे ज्यादा हैपेटाइटिस बी और सी के मरीज होते हैं। ज्यादातर मामलों में पीलिया होने के बाद भी मरीज डॉक्टर के पास काफी देरी से पहुंचते हैं। प्रारंभिक लक्षण जैसे शरीर टूटना, बुखार, उल्टी होना, भूख कम लगना, पेशाब और आंखों का पीलापन दिखते ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
साफ-सुथरा खानपान
हैपेटाइटिस का शिकार होने वाले ज्यादातर मरीजों में पीलिया के लक्षण जरूर दिखते हैं। लिवर को फिट रखने के लिए साफ-सुथरा भोजन और साफ पानी जरूरी है। बाहर का खाना खाने से बचें, लेकिन खाना भी पड़े तो साफ-सफाई देखकर ही खाएं। कम से कम हैपेटाइटिस ए का टीका जरूर लगवाना चाहिए।किसी की सुई, रेजर और टूथब्रश इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रक्त चढ़ाने पर इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नई सुई हो और रक्त संक्रमित न हो।
झाड़ा नहीं है इलाज
पीलिया एक ऐसा रोग है, जिसमें कई नीम-हकीम इलाज करने का दावा करते हैं। हैपेटाइटिस ए ज्यादातर मामलों में एक माह में खुद ठीक हो जाता है और लोग समझते हैं कि यह झाड़ फूंक से ठीक हुआ है। हैपेटाइटिस बी के मामले में तो मरीज को डॉक्टरी सलाह लेनी ही पड़ती है।
होम्योपैथी: परहेज भी करें
होम्योपैथी के अनुसार पीलिया हैपेटाइटिस या लिवर की किसी भी बीमारी के साथ दिखता है। इसमें दवाइयों के साथ परहेज जरूरी है।
दवाइयां: लिवर टॉनिक, चेलीडोनियम, नक्स वोमिका, एल्फा क्यू, चेलीडोनियम क्यू
खानपान : अधिक तेल, घी, हल्दी और मिर्च मसाले का भोजन न करें। मौसमी और गन्ने का रस पीएं। नारियल पानी, चावल, दही या छाछ, उबले आलू और छैने वाला रसगुल्ला खाएं।
आयुर्वेद: हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं
आयुर्वेद विशेषज्ञ विनोद शर्मा का कहना है कि पीलिया के रोगी को ज्यादा से ज्यादा हरी पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए। सब्जियों में लौकी, मूली, परवल, टिंडा और फलों में सेब, संतरा खाना चाहिए।
दवाइयां : पीलिया में भूमि आंवला, पुनर नवा, मकोय, अमलतास, शोनाक की छाल को 50-50 ग्राम लेकर पीसकर पाउडर बना लें। रोजाना एक चम्मच पाउडर चार कप पानी में उबालें। एक कप पानी रह जाने पर सुबह-शाम खाली पेट पीएं। इसके अलावा पीलिया में स्वर्णमासिक भस्म और काशिस भस्म दवाएं ली जा सकती हैं।
खानपान : मिर्च मसालेदार खाना और फास्टफूड नहीं खाना चाहिए। हल्का भोजन करें, गन्ने का रस और छैने का रसगुल्ले खाएं।
(नोट: यहां सभी दवाओं के नाम भले ही दिए गए हैं, लेकिन उन्हें विशेषज्ञ की सलाह से ही प्रयोग में लाएंं)
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