ये हैं प्रमुख लक्षण –
अधिक रक्तस्राव से रोगी की याददाश्त चली जाती है और उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। साथ ही आंखों की पलकें फैलने लगती हैं। इसके अलावा व्यक्ति के नाक व मुंह से रक्त निकलने लगता है और कई बार मुंह में खून भर जाता है।
सावधानी बरतें –
रोगी को सीधा लिटाकर उसके सिर पर आइस बैग या ठंडे पानी की पट्टी रखें। किसी भी प्रकार की दिमागी चोट लगने पर यदि रोगी को चक्कर, सिरदर्द, उल्टी आने व धड़कनें तेज होने लगे तो उसे लिटाकर सिर ऊंचा रखें। ध्यान रहे कि कमरे में बिल्कुल भी हवा न आए। रोगी को दूध, मिश्री वाला पानी, कच्चे नारियल का पानी, ग्लूकोज और ठंडा पानी जैसे तरल पदार्थ दें। इसके बाद भी यदि रोगी के सिर या चेहरे पर गंभीर सूजन आए व उसे सिर में हलचल महसूस हो तो डॉक्टर को दिखाएं। अस्पताल ले जाते समय रोगी को लिटाकर रखें और ठंडे पानी की पट्टी करते रहें ताकि रक्तस्राव रुक जाए।
गंभीर अवस्था –
ज्यादातर मामलों में बे्रन हैमरेज की गंभीर अवस्था होने पर मरीज को एलोपैथिक इलाज के लिए फौरन अस्पताल ले जाया जाता है और बाद में होम्योपैथिक उपचार किया जाता है।
लक्षणों पर आधारित उपचार –
डॉक्टर सबसे पहले मरीज को अर्निका टिंचर देते हैं। इसके अलावा अर्निका टिंचर का लोशन बनाकर इसमें सूती पट्टी भिगोकर सिर पर रखते हैं। गंभीर स्थिति में रक्तस्राव रोकने के लिए मिलीफोलियम और फैरमफॉस जैसी बायोकैमिक दवाएं देते हैं। इसके बाद लक्षणों के आधार पर हाइपेरिकम, बेलेडोना, फेरमफॉस, चायना, हेमामिलस, इपिकाक, जिरेनियम मैकुलेटम आदि दवाएं दी जाती हैं।