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कहीं सुस्ती की वजह हार्मोन में बदलाव तो नहीं !

locationजयपुरPublished: Feb 23, 2019 02:49:38 pm

क्या आपको कई बार बेहद आलस व उदासी महसूस होती है और जिंदगी बेवजह लगने लगती है

hormonal imbalance

कहीं सुस्ती की वजह हार्मोन में बदलाव तो नहीं !

क्या आपको कई बार बेहद आलस व उदासी महसूस होती है और जिंदगी बेवजह लगने लगती है? आपने घी, तेल और मीठा खाना छोड़ दिया है फिर भी आप मोटी हो रही हैं? क्या आपको नींद आनी कम हो गई है? इन सभी दिक्कतों की वजह हार्मोन का असंतुलन भी हो सकता है।
महिलाओं में ज्यादा असर
हार्मोंस किसी कोशिका या ग्रंथि द्वारा स्रावित होने वाले वे रासायन हैं जो रक्त के जरिए शरीर के भागों में लाए जाते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्मोंस का बदलाव ज्यादा होता है। जब भी महिलाओं में हार्मोंस का असंतुलन होता है तो शारीरिक व मानसिक दोनों स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं। किशोरावस्था के दौरान से ये बदलाव शुरू होते हैं जो 30-40 साल की उम्र के बीच ज्यादा होते हैं।
डाइटिंग के चक्कर में
कई बार वजन कम करने के गलत तरीके की वजह से भी महिलाओं में हार्मोंस का असंतुलन हो जाता है। जो महिलाएं क्रेश डाइटिंग करती हैं वे ज्यादा मात्रा में प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट लेती हैं। ऐसे में उन्हें हार्मोंस में गड़बड़ी की समस्या हो सकती है। भूख को दबाने के लिए ये महिलाएं चाय-कॉफी का सहारा लेती हैं जिससे वजन घटने की बजाय बढ़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रॉन और टेस्टेस्टेरॉन पर हमारी खुशी, अच्छी नींद, शरीर का तापमान और भूख जैसी गतिविधियां निर्भर करती हैं। इन तीनों में से किसी एक में कमी या ज्यादा बनने की समस्या हो तो स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है।
परेशानी होने पर
मूड स्विंग होने या परेशानी होने पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें। इस दौरान महिलाएं नमक कम खाएं और पानी ज्यादा पिएं। मेनोपॉज के दौरान शरीर में प्राकृतिक रूप से हार्मोनस बनने कम हो जाते हैं। इस पड़ाव में भी डॉक्टर के पास जाना जरूरी हो जाता है। मनोचिकित्सक की सलाह, काउंसलिंग और स्त्री रोग विशेषज्ञ की देखरेख में आइसो फ्लेवॉन लें। यह नेचुरल एस्ट्रोजन होता है जिसे पौधों से तैयार किया जाता है। यह शरीर में फीमेल हार्मोंस की कमी को पूरा करता है। यह सोया, टोफू व पत्तागोभी में पाया जाता है। इसके अलावा कैल्शियम भी लें, इससे मूड सही रहेगा।

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