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जानिए गर्भस्थ शिशु का शरीर कैसे लेता है आकार

locationजयपुरPublished: Jan 24, 2019 02:55:53 pm

मेडिकल जांचों के साथ पौष्टिक तत्वों वाले खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है क्योंकि इस दौरान आने वाले शिशु का शरीर भी आकार लेता है।

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मेडिकल जांचों के साथ पौष्टिक तत्वों वाले खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है क्योंकि इस दौरान आने वाले शिशु का शरीर भी आकार लेता है।

गर्भावस्था से प्रसव काल तक का समय महिला और उसके शिशु के लिए शारीरिक-मानसिक रूप से काफी अहम होता है। मेडिकल जांचों के साथ पौष्टिक तत्वों वाले खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है क्योंकि इस दौरान आने वाले शिशु का शरीर भी आकार लेता है।

ये सप्लीमेंट्स जरूरी –
फॉलिक एसिड : गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीनों तक।
आयरन, कैल्शियम व प्रोटीन : तीन महीने बाद इनकी गोलियां व सीरप दिए जाते हैं। ये शिशु को ताकत देते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट : 3-4 महीने बाद बच्चे के बढ़ने के लिए एंटीऑक्सीडेंट की टैबलेट्स, कैप्सूल व सप्लीमेंट दिए जाते हैं।

डाइट का भी रखें ध्यान –
विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और कैल्शियम युक्तभोजन लें जो कि आपके और आपके शिशु के लिए पौष्टिक है। दिन में 6 बार नियमित रूप से खाएं।
शुरू के तीन महीने में बच्चे के मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी बनने लगती है जिसके विकास के लिए एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में जरूरी होता है। इसलिए मां को नारियल पानी व फल-सब्जी ज्यादा से ज्यादा खानी चाहिए। आखिरी के तीन महीने में बच्चे के शरीर के विकास के लिए आयरन और कैल्शियम बहुत जरूरी होता है इसलिए डॉक्टर आयरन व कैल्शियम की टैबलेट्स और पनीर, रसगुल्ला, सोयाबीन, दाल आदि खाने की सलाह देते हैं जिससे बच्चे का वजन बढ़ सके।

इस तरह से होता है विकास –
शुरू के 3-4 हफ्ते : सबसे पहले बच्चे का दिल, रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क, नर्वस सिस्टम और प्लेसेंटा (नाल) बनने लगते हैं। शरीर की लंबाई करीब 2 मिलीमीटर तक होती है।
दूसरा महीना : 8 हफ्तों में कान आकार लेने लगते हैं। दिमाग व रीढ़ की हड्डी विकसित हो जाती है। शरीर की तुलना में सिर का आकार बड़ा होता है। शिशु की लंबाई एक इंच तक बढ़ जाती है।

तीसरा व चौथा महीना –
हाथ-पैर पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं और नाखूनों का बनना शुरू होता है। 12 हफ्तों में शिशु की लंबाई ढाई इंच व वजन 30 ग्राम हो जाता है। स्टेथेस्कोप की मदद से बच्चे की दिल की धड़कनें सुनी जा सकती हैं। 16 हफ्तों में भौंहे और पलकें भी बन जाती हैं। शिशु का वजन 80 ग्राम व लंबाई 5 इंच तक बढ़ जाती है।

पांचवां व छठा महीना –
पांचवा महीना : 20 हफ्तों में मां को गर्भस्थ शिशु की हलचल महसूस होने लगती है। बच्चे का वजन 250 ग्राम और लंबाई 7 इंच तक बढ़ जाती हैं।
छठा महीना : 24 हफ्तों में बच्चे की त्वचा सिकुड़ी हुई और लालिमा लिए होती है। शिशु का वजन 500 ग्राम तक और लंबाई 10 इंच तक बढ़ जाती है।
सातवां, आठवां व नवां महीना –
शिशु का वजन 1.1 किलो और लंबाई 14 इंच तक बढ़ जाती है। 28 हफ्तों के अंत तक फेफड़े ठीक से विकसित नहीं हो पाते। इसलिए सांतवें महीने में प्रीमैच्योर डिलीवरी से जन्मे बच्चे को सांस की तकलीफ हो सकती है। तब उसे आईसीयू केयर में रखना पड़ता है।
आठवां महीना : 32 सप्ताह के बाद के प्रसव को जच्चा-बच्चा दोनों के लिए स्वस्थ माना जाता है। शिशु का वजन 1.8 किलो और लंबाई 17 इंच तक हो जाती है।
नवां महीना : गर्भस्थ शिशु जन्म के लिए सही पॉजिशन में आ जाता है। 36 हफ्तों में शरीर की हड्डियां थोड़ी मजबूत हो जाती हैं, लेकिन सिर की हड्डी नाज़ुक और लचकदार ही रहती है, जिससे आसानी से डिलीवरी हो सके। नवें महीने के अंत तक बच्चे का औसतन वजन 2.75 किलो तक और लंबाई लगभग 20 इंच तक बढ़ जाती है।
डॉक्टरी सलाह –
डायबिटीज, हाई बीपी, थायरॉइड या अन्य रोग से पीडि़त हैं तो गर्भवती इनकी दवाइयां भी डॉक्टरी सलाह से नियमित लें। सुबह-शाम थोड़ा पैदल चलें। 8 घंटे की नींद अवश्य लें। डाइटिंग मां और शिशु, दोनों की सेहत के लिए ठीक नहीं होती।

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