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रोग और उपचार

अगर आपको भी होती है ‘यूरीन रोकने में समस्या’ तो जानें इसके बारे में

ओवरएक्टिव ब्लैडर दो तरह के होते हैं- बार-बार मूत्र जाने की जरूरत महसूस होना (तत्कालिक आवृति) व मूत्र को रोक न पाना (मूत्र असंयम)।

Jan 22, 2019 / 02:44 pm

विकास गुप्ता

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ओवरएक्टिव ब्लैडर दो तरह के होते हैं- बार-बार मूत्र जाने की जरूरत महसूस होना (तत्कालिक आवृति) व मूत्र को रोक न पाना (मूत्र असंयम)।

क्या आपके साथ कभी ऐसा होता है कि टॉयलेट तक पहुंचने से पहले ही मूत्र का रिसाव हो जाता है? दिन में बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत पड़ती हो ? यूरीन लीक होने के डर से आपको पैड लगाने पड़ते हों? हां, तो आपको ओवरएक्टिव ब्लैडर यानी अरजेंसी इंकंटीनेंस (यूआई) की समस्या है। इस तरह की समस्या से पीड़ित लोगों को अक्सर मूत्र रिसाव की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है। ओवरएक्टिव ब्लैडर दो तरह के होते हैं- बार-बार मूत्र जाने की जरूरत महसूस होना (तत्कालिक आवृति) व मूत्र को रोक न पाना (मूत्र असंयम)।

वजह : यह बीमारी बहुत कम रजिस्टर होती है। इसमें खासतौर से महिलाएं शामिल हैं जो शर्म के कारण इस बीमारी के बारे में नहीं बतातीं। गर्भधारण या मांसपेशियों में परेशानी की वजह से महिलाओं को मूत्र रिसाव की समस्या हो जाती है। कई बार मांसपेशियों की बजाय यह समस्या न्यूरो संबंधी होती है। इसमें दिमाग और सेक्रल तंत्रिकाओं का तालमेल सही नहीं बैठता और यूआई की समस्या हो जाती है। सेक्रल तंत्रिकाएं मूत्राशय थैली के चारों तरफ फैली तंत्रिकाएं होती हैं, जो मूत्र रिसाव इत्यादि को नियंत्रित करती हैं। अगर समस्या न्यूरो से जुड़ी है, तो इंटरस्टिम थैरेपी से इसका इलाज संभव है।

इलाज : शुरुआत में बिहेवियर थैरेपी जैसे कि ब्लैडर ट्रेंनिग, खानपान में बदलाव व पेल्विक फ्लोर व्यायाम से इसका इलाज किया जाता है।

नई तकनीक –
इंटरस्टिम थैरेपी काफी प्रभावी और नई तकनीक है। इंटरस्टिम को सेक्रल न्यूरो मोड्यूलेशन भी कहा जाता है क्योंकि इस थैरेपी के तहत त्वचा के भीतर एक स्टिमुलेटर लगाया जाता है, जो पेसमेकर जैसा होता है। यह इलेक्ट्रिक स्पंदन की मदद से मूत्राशय के ब्लैडर (सेक्रल तंत्रिकाओं)को नियंत्रित करता है। रोगी पहले इस थैरेपी के फायदों को महसूस कर सकता है और फिर निर्णय ले सकता है कि उसे ये थैरेपी प्रत्यारोपित करवानी है या नहीं।

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