scriptअगर बार-बार होती है यूरिन की परेशानी तो अपनाए ये इलाज | If you have excessive urine problem, follow these tips | Patrika News

अगर बार-बार होती है यूरिन की परेशानी तो अपनाए ये इलाज

Published: Dec 26, 2016 04:09:00 pm

महिलाओं का इस समस्या के बारे में खुलकर न बोल पाना इसके बढऩे का एक कारण है। यूरिनरी ट्रैक में संक्रमण होने पर यह रोग गंभीर हो जाता है

Urine problem

Urine problem

जयपुर। ब्लैडर में दर्द होने के कारण यूरिन न रोक पाने की समस्या महिलाओं में अधिक होती है। इसे ब्लैडर पेन सिंड्रोम कहते हैं। इसका कारण ब्लैडर की अंदरुनी लाइनिंग का क्षतिग्रस्त या उनमें अल्सर का होना है। ऐसे में ब्लैडर अधिक सक्रिय हो जाता है और रोगी को रोजाना 20-50 बार यूरिन करने जाना पड़ता है। आम आदमी और चिकित्सा जगत में इस रोग को लेकर अधिक जागरूकता न होने के कारण इसके मामले बढ़ रहे हैं। इस बारे में डॉक्टर से कोई बात छिपाएं नहीं, खुलकर बताएं।

इसलिए बढ़ती दिक्कत
महिलाओं का इस समस्या के बारे में खुलकर न बोल पाना इसके बढऩे का एक कारण है। यूरिनरी ट्रैक में संक्रमण होने पर यह रोग गंभीर हो जाता है। साथ ही मसालेदार व तलेभुने खाद्य पदार्थ और सिट्रस फूड जैसे नींबू अचार समस्या को बढ़ाते हैं। इससे पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है। जागरुकता के अभाव में कुछ मामलों में विशेषज्ञ इसे पथरी या संक्रमण मानकर इलाज करते हैं जिस कारण दिक्कत बढ़ती जाती है। शुरुआती अवस्था में इलाज दवाओं से संभव है। इसलिए लक्षण दिखते ही बिना देर किए चिकित्सक से संपर्क करें।

यूरिन के दौरान तेज दर्द होना
गंभीर स्थिति होने पर ब्लैडर सिकुड़ जाते हैं जिससे इसमें यूरिन रोकने में दिक्कत आती है। इस कारण बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है और इस दौरान तेज दर्द होता है।

जांच : यूरिन सैंपल/सिस्टोस्कोपी
इसका पता लगाने के लिए कोई विशेष टैस्ट न होने के कारण यूरिन सैंपल लेकर इंफेक्शन का कारण पता लगाते हैं। इसके अलावा इस हिस्से में कैंसर या टीबी तो नहीं इसके लिए अल्ट्रासाउंड या सिस्टोस्कोपी जैसी जांचें की जाती हैं। इसमें ब्लैडर में बारीक ट्यूब डालते हैं। जिसमें लगा कैमरा अंदर की स्थिति बताता है। साथ ही ट्यूब की मदद से सैंपल भी लिया जाता है। 

इलाज
सबसे पहले तेज दर्द का कारण बनने वाली चीजें जैसे तलाभुना मसालेदार खाना, कॉफी, चाय, सोडा, आर्टीफिशियल स्वीटनर आदि से परहेज कराते हैं। इसका ट्रीटमेंट भारत में उपलब्ध है। जिसके तहत कुछ खास दवाएं दी जाती हैं जो ब्लैडर की अंदरुनी क्षतिग्रस्त लाइनों को रिपेयर करती है और रोगी को राहत मिलने लगती है।

सर्जरी : छोटी आंत से बनाते ब्लैडर
परहेज व दवाओं से स्थिति नियंत्रित न होने पर बोटॉक्स इंजेक्शन देते हैं जो अधिक एक्टिव ब्लैडर को सामान्य करता है। अगर समस्या फिर भी बरकरार रहती है तो सर्जरी ही विकल्प है। इसमें क्षतिग्रस्त ब्लैडर को हटाकर छोटी आंत से यूरिनरी ब्लैडर बनाया जाता है। जो सामान्य लोगों की तरह यूरिन रोकने की क्षमता प्रदान करता है व दर्द से छुटकारा मिलता है।

डॉ. संजय पाण्डे, कंसल्टेंट यूरोलॉजी एंड जेंडर री-असाइंमेंट सर्जरी, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई

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