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पहले से बीमार बच्चों को मौसमी रोगों का खतरा 

Published: Dec 24, 2016 02:41:00 pm

सर्दी में वायरस की वृद्धि होने पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे घर के बच्चे और बड़े भी प्रभावित होते हैं

child sick

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नई दिल्ली। सर्दी में फ्लू व इससे जुड़े अन्य रोगों का खतरा बढऩे से छोटे बच्चे खासकर नवजात और पहले से किसी गंभीर रोग से पीडि़त को मौसम के बदलाव का प्रभाव ज्यादा होने की आशंका रहती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से इनमें इस रोग की गंभीरता बढऩे लगती है। जानें, कारणों और बचाव के बारे में- 

कारण 
लू, सर्दी, जुकाम और बुखार जैसी समस्याओं का मुख्य कारण वायरस का संक्रमण है। सर्दी में वायरस की वृद्धि होने पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे घर के बच्चे और बड़े भी प्रभावित होते हैं। यह संक्रमण मुख्य रूप से छींकने या खांसने, हाथ मिलाने और संक्रमित वस्तुओं को छूने से होता है। इसके अलावा भीड़भाड़ वाली जगहों पर बच्चों को ले जाने, आसपास धूम्रपान करने, शारीरिक कमजोरी और पहले से किसी बीमारी से पीडि़त होने की वजह से भी इन्हें सेहतमंद बच्चों की तुलना में रोगों का खतरा ज्यादा होता है। 

लक्षण 
2-3 दिन बुखार रहना, सिरदर्द व बदनदर्द, नाक से पानी निकलना, बार-बार छींकें आना, हाथ-पैरों में अकडऩ व दर्द जैसी तकलीफें होती हैं। 

इन्हें ज्यादा खतरा
शारीरिक रूप से कमजोर, अस्थमा, बार-बार जुकाम होना, जन्मजात हृदय व किडनी रोगियों के माता-पिता को उनका ध्यान रखना चाहिए। 

इलाज
बचाव ही इसका एकमात्र उपचार है। जिसमें शिशु को पीडि़त व्यक्ति के संपर्क में आने से बचाना, गोद में लेने व छूने से पहले हाथों को अच्छे से साबुन से धोना, छींकते समय मुंह को रुमाल से अच्छे से ढककर रखना आदि। शिशु के आसपास धूम्रपान न करने के अलावा रोग से बचाव के लिए फ्लू वैक्सीन डॉक्टरी सलाह से हर साल जरूर लगवानी चाहिए।

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