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प्रदूषण से बढ़ रही है पुरुषों में नपुंसकता

locationजयपुरPublished: Jul 03, 2018 04:49:51 am

जहरीली हवा न केवल फेफड़ों, आंखों और हृदय पर असर डाल रही है, बल्कि इसका दुष्प्रभाव अब पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं की कमी, उनकी खराब क्वालिटी और कामेच्छा की कमी के रूप में भी देखने को मिल रहा है।

प्रदूषण से बढ़ रही है पुरुषों में नपुंसकता

प्रदूषण से बढ़ रही है पुरुषों में नपुंसकता

जहरीली हवा न केवल फेफड़ों, आंखों और हृदय पर असर डाल रही है, बल्कि इसका दुष्प्रभाव अब पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं की कमी, उनकी खराब क्वालिटी और कामेच्छा की कमी के रूप में भी देखने को मिल रहा है। हवा में बढ़ता प्रदूषण लोगों की सेक्स एक्टिविटी और सेक्स के प्रति उनकी इच्छा और उनके परफॉर्मेंस को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

कई वयस्क और बुजुर्ग लोग इसकी वजह से श्वसन संबंधी समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं और साइनसाइटिस, सांस लेने में कठिनाई और दमा जैसी शिकायतें लेकर डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं, तो कई लोग ऐसे भी हैं, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, लेकिन उनकी शिकायत है कि सेक्स के प्रति उनकी रुचि घटती जा रही है।

पुरुषों की फर्टिलिटी पर दुष्प्रभाव
कई ऐसे कपल्स हैं, जो काफी कोशिशों के बाद भी बच्चा पैदा करने में नाकाम हो रहे हैं। ऐसे कपल्स की जांच में यह पाया गया है कि वातावरण में मौजूद प्रदूषण पुरुषों की फर्टिलिटी पर गहरा दूष्प्रभाव डाल रहा है। दिल्ली में महिलाओं के मुकाबले फर्टिलिटी की समस्या से ग्रसित पुरुषों की तादाद 15 प्रतिशत ज्यादा है।

दिल्ली-एनसीआर में हर तीन में से एक पुरुष इनफर्टिलिटी की समस्या से पीडि़त है। महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान ही गर्भपात हो जाने के पीछे भी यह एक प्रमुख कारण बनकर सामने आ रहा है, क्योंकि अत्यधिक प्रदूषण के असर के चलते पुरुषों के शुक्राणुओं की क्वालिटी पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।

पहला और प्रमुख संकेत
जहरीली हवा में सांस लेने की वजह से कई लोगों के तो शुक्राणुओं की संख्या इतनी कम पाई गई है कि गर्भधारण के लिए जरूरी न्यूनतम मात्रा जितने शुक्राणु भी उनमें नहीं पाए गए। स्पर्म काउंट में इतनी ज्यादा कमी आने की वजह से शुक्राणुओं के एक जगह इकठ्ठा हो जाने से वे फेलोपाइन ट्यूब में भी सही तरीके से नहीं जा पाते हैं, जिसके चलते कई बार कोशिश करने के बाद भी गर्भधारण नहीं हो पाता है। पुरुषों में फर्टिलिटी कम होने का सबसे पहला और प्रमुख संकेत संभोग की इच्छा में कमी के रूप में सामने आता है।

स्पर्म काउंट में कमी
स्पर्म सेल की लाइफ साइकिल 72 दिनों की होती है और स्पर्म पर पॉल्यूशन का घातक प्रभाव लगातार 90 दिनों तक दूषित वातावरण में रहने के बाद नजर आने लगता है। सल्फर डायऑक्साइड की मात्रा में हर बार जब भी 10 माइक्रोग्राम की बढ़ोतरी होती है, तो उससे स्पर्म कॉन्संट्रेशन में 8 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है, जबकि स्पर्म काउंट भी 12 प्रतिशत तक कम हो जाता है और उनकी गतिशीलता या मॉर्टेलिटी भी 14 प्रतिशत तक कम हो जाती है। स्पर्म के आकार और गतिशीलता पर असर पडऩे की वजह से पुरुषों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस अचानक बढ़ जाता है और डीएनए भी डैमेज होने लगता है, जिससे उनकी फर्टिलिटी पर काफी बुरा असर पड़ता है और उनकी उर्वर क्षमता अत्यधिक प्रभावित होती है।

हारमोन का असंतुलन
स्पर्म सेल्स के खाली रह जाने और उनका अधोपतन होने के पीछे जो मैकेनिज्म मुख्य कारण के रूप में सामने आता है, उसे एंडोक्राइन डिसरप्टर एक्टिविटी कहा जाता है, जो हारमोन्स का असंतुलन है। जहरीले कण युक्त हवा जब फेफड़ों में जाती है, तो उसके साथ उसमें घुले कॉपर, जिंक, लेड जैसे घातक तत्व भी हमारे शरीर में चले जाते हैं, जो नेचर में एस्ट्रोजेनिक और एंटीएंड्रोजेनिक होते हैं। लंबे समय तक जब ऐसे जहरीले कणों से युक्त हवा में सांस लेते हैं, तो संभोग की इच्छा पैदा करने के लिए जरूरी टेस्टोस्टेरॉन और स्पर्म सेल के प्रोडक्शन में कमी आने लगती है।

बचाव के लिए उपाय
हालांकि हवा में फैले प्रदूषण से पूरी तरह बच पाना मुश्किल है, लेकिन इसके बावजूद अपनी लाइफस्टाइल में कुछ खास तरह के बदलाव लाकर और अपनी डाइट पर कंट्रोल करके इसके असर को कम जरूर किया जा सकता है। शरीर में स्वस्थ शुक्राणुओं को विकसित करने के लिए उनकी गुणवत्ता, मात्रा, गतिशीलता और एकाग्रता को बचाए और बनाए रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं।

एंटीऑक्सिडेंट का सेवन ज्यादा करें। उनमें विटामिन्स, मिनरल्स और रिच न्यूट्रिएंट्स का सही मिश्रण होता है और यह स्पर्म को हैल्दी बनाए रखने और उनकी क्वालिटी को सुधारने में मददगार साबित होते हैं। ये शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को हटाकर स्पर्म सेल्स की लाइफ को बढ़ाते हैं।

अपनी डायट में ऐसी चीजों को शामिल करें, जिनमें एंटी ऑक्सिडेंट ज्यादा हों। इसके लिए अपने खाने में टमाटर, मीठे आलू, तरबूज, गाजर, कद्दू के बीज, मछली, अखरोट, ब्लूबेरी और अनार आदि को शामिल करें। इनके सेवन से स्पर्म सेल्स हैल्दी बनी रहती हैं।

पुरुषों के लिए लिपोइक एसिड महत्वपूर्ण और जरूरी एंटी ऑक्सिडेंट है। यह स्पर्म सेल्स की क्वालिटी को तो बेहतर बनाता ही है, साथ ही उनकी गतिशीलता को भी बढ़ाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। पालक और आलू में यह अच्छी मात्रा में पाया जाता है।

विटामिन ई और सेलेनियम हमारे रक्त में मौजूद रेड ब्लड सेल्स को ऑक्सिडेटिव डैमेज से बचाते हैं, जिससे आईवीएफ ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले स्पर्म मोबिलिटी में बढ़ोतरी होती है।
जिंक भी शरीर के लिए महत्वपूर्ण मिनरल है, जो अच्छी क्वालिटी के शुक्राणुओं के निर्माण में काफी मददगार साबित होता है।

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