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बार-बार सर्दी, कब्ज व थकान बढ़ रही तो थायरॉइड डिसआर्डर

locationजयपुरPublished: May 18, 2019 02:41:49 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

यदि बिना वजह वजन बढ़ रहा है, सर्दी, थकान, कब्ज है तो हाइपोथायराइडिज्म है। यह थायरॉक्सिन हार्मोन कम बनने से होता है। औसतन 100 में से 10 महिलाओं में यह बीमारी देखने में आती है।
 

thyroid

बार-बार सर्दी, कब्ज व थकान बढ़ रही तो थायरॉइड डिसआर्डर

थायरॉइड ग्रंथि से दो प्रकार के हार्मोन निकलते हैं। थायरॉक्सिन टी-4 में चार आयोडीन और ट्राईआयोडोथाइरीन टी-3 में तीन आयोडीन होते हैं। टी-4 जरूरत के अनुसार टी-3 में बदल जाते हैं। शरीर में इन दोनों के लेवल को टीएसएच (थायरॉइड स्टीमुलेटिन हार्मोन) नियंत्रित करता है। थायरॉइड की वजह से अस्थमा, कोलेस्ट्रॉल, डिप्रेशन, डायबिटीज, अनिद्रा और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है। ऐसे मरीज जिन्हें खाना निगलने, सांस लेने में दिक्कत होती है उनकी थायरॉइड ग्रंथि की सर्जरी से निकाल दिया जाता है।
पहचानें ये बदलाव
भूख कम लगती है, वजन बढ़ता है।
दिल की धड़कन कम हो जाती है।
गले के पास सूजन हो जाती है।
आलस्य व जल्द थकान आती है।
ज्यादा कमजोरी, अवसाद होता है
अपेक्षाकृत पसीना कम आता है।
त्वचा रूखी व बेजान हो जाती है।
गर्मी में भी ठंड ज्यादा लगती है।
बाल दोमुंहे व ज्यादा झड़ते हैं।
याद्दाश्त में कमी आ जाती है।
महिलाओं में अनियमित माहवारी व बांझपन की समस्या होती है
समय से पहले माहवारी बंद (प्री मेनोपॉज) हो सकती है।
थायराइड डिसऑर्डर दो प्रकार का होता
हाइपोथायरॉइडिज्म : थायरॉइड में जब टी-3 और टी-4 हॉर्मोन लेवल कम हो जाए तो उसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहते है। इसमें टीएसएच बढ़ जाता है। इसका ग्लैंड को ज्यादा काम कराना होता हे।
हाइपरथायरॉइडिज्म : थायरॉइड में जब टी-3 और टी-4 हॉर्मोन के लेवल के बढऩे की स्थिति को हाइपरथायरॉइडिज्म कहते हैं। इसमें टीएसएच घट जाता है।
शुरुआती जांच
सबसे पहले टीएसएच की जांच करते हैं। रिपोर्ट सामान्य न होने पर टी-3, टी-4 हार्मोन की जांच करते हैं। थायरॉइड फंक्शन टेस्ट से हाइपो व हाइपर की पहचान की जाती है।
नियमित दवा लें
थाइरॉयड की नियमित दवा न लेने से ब्लड प्रेशर कम-ज्यादा हो सकता है। हार्मोन के असंतुलन से शरीर में असामान्य बदलाव होते हैं। महिलाओं में फर्टिलिटी व गर्भपात हो सकता है।
आयोडीन की कमी व जीवनशैली भी वजह
खाने में आयोडीन की मात्रा कम रहे या ज्यादा जा रही है तो समस्या। जीवनशैली में तनाव और गलत खानपान भी वजह। इसके अलावा हृदय, मानसिक बीमारियों के मरीजों को दी जाने वाली दवाओं से भी थायरॉइड की दिक्कत होती है। ये दवाएं लंबे समय तक लेने से हॉर्मोन्स का असंतुलन थायरॉइड डिसऑर्डर की वजह बनता। चिकित्सक से दवाओं में बदलाव कराते रहें।
एक्सपर्ट : डॉ. अनिल भंसाली, हेड, एंडोक्राइन डिपार्टमेंट, पीजीआई, चंडीगढ़

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