पीसीओडी का मुख्य कारण क्या है?
महिलाओं में धूम्रपान अल्कोहल के बढ़ते प्रयोग से भी समस्या बढ़ती है। जानकारी के अभाव में महिलाएं इसे नजरअंदाज करती हैं। गर्भधारण में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है।
इसकी पहचान क्या है?
हार्मोनल इम्बैलेंस, मोटापा, तनाव, अनियमित माहवारी, अनचाहे बाल, चिड़चिड़ापन, मुहांसे, इनफर्टिलिटी मुख्य लक्षण हैं।
पीसीओडी में कौनसी जांचें होती है?
अल्ट्रासाउंड से ओवरी का साइज व गांठों का पता चलता है। थायरॉइड, मधुमेह की जांचें भी की जाती है। रक्त जांच से हार्मोन के स्तर से बीमारी की पहचान करते हैं।
इससे कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
बीमारी की पहचान होते ही जीवनशैली में बदलाव व इलाज जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढऩा, हृदय रोग, मधुमेह, गर्भधारण करने में दिक्कत और कैंसर हो सकता है।
खानपान में क्या बदलाव करें?
जंक फूड, ज्यादा मीठा, तैलीय पदार्थ, सॉफ्ट ड्रिंक्स, मैदा, पास्ता, डिब्बाबंद चीजों का इस्तेमाल नहीं करें। संतुलित आहार के लिए मौसमी फल, हरी सब्जियां, विटामिन बी, ओमेगा 3 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर से भरपूर चीजें अलसी, नट्स-अखरोट, ड्राई-फ्रूट, बीज और दही शामिल करें। वजन के हिसाब से पानी पीएं।
ज्यूस पीने की बजाए फ्रूट्स खाएं। इससे फाइबर की पूर्ति होगी। सुबह नाश्ते में संतुलित आहार जरूरी है।
व्यायाम-योग करना कितना जरूरी है?
मोर्निंग वॉक, योग और व्यायाम करना जरूरी है। इसके अलावा स्विमिंग, ब्रिस्क वॉक, साइकिलिंग करें। तनाव मुक्ति और मोटापा नियंत्रित करने में कारगर है। मासिक चक्र सामान्य हो सकता है। ध्यान और योग विशेषज्ञ की मदद से नियमित करें।
डॉ. स्वाति श्रीवास्तव,
सीनियर फिजिशियन,
एसएमएस अस्पताल