स्टेरॉयड्स से घुटने खराब
मर्जी से बुखार या किसी भी दर्द से राहत के लिए स्टेरॉयड युक्त दवा लेने वालों के कूल्हे के जोड़ तेजी से खराब होते हैं। इन दिनों युवा बॉडी बनाने के लिए सप्लीमेंट्स व स्टेरॉयड्स का प्रयोग करते हैं जिनसे घुटने व कूल्हे के जोड़ व इनमें रक्त पहुंचाने वाली नसों में अवरोध होने से सिकुडऩ आ जाती है। इससे कार्टिलेज खराब होने से दर्द होता है।
02 या तीन हफ्ते, ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद प्रभावित हिस्से पर आए टांकों को खोल दिया जाता है। रोगी की स्थिति को ध्यान में रखा जाता है।
55 वर्ष से अधिक उम्र के आते हैं हिप रिप्लेसमेंट के मामले। लेकिन इन दिनों अन्य कारणों से भी इसके मामले किसी भी उम्र में आने लगे हैं।
01 माह के अंदर ही घुटने या कूल्हे के रिप्लेसमेंट के बाद होने लगता है सुधार। इसके बाद रोगी अपने रोजमर्रा के काम कर सकता है।
02 घंटे अधिकतम लगते हैं किसी भी प्रकार के जोड़ रिप्लेसमेंट में।
आर्थराइटिस
आर्थराइटिस शब्द के ‘आर्थ’ यानी जोड़ की मदद से व्यक्ति के हाथों-पैरों व कूल्हे में मूवमेंट होता है। वहीं ‘राइटिस’ का अर्थ वियर एंड टियर है यानी जोड़ों का खराब होना या उसके कार्टिलेज का घिसना है। बढ़ती उम्र में जोड़ खराब होना ऑस्टियो आर्थराइटिस है। रुमेटॉयड आर्थराइटिस (गठिया) आनुवांशिक है। महिलाओं में अधिक होता है।
प्रमुख जांचें…
घुटने या कूल्हे से जुड़ी समस्या या इनके आकार में किसी बदलाव को जानने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई करते हैं। फिर कार्टिलेज की स्थिति को जांचा परखा जाता है। लोडिंग एक्स-रे में मरीज को खड़ा रखकर घुटने की जांच की जाती है जिससे देखा जाता है कि भार पडऩे पर उस जोड़ की स्थिति क्या है।
रिप्लेसमेंट के बाद एक माह में होने लगता सुधार
नी-रिप्लेसमेंट में घुटने के आसपास लिगामेंट की कोबाल्ट, क्रोमियम सेरेमिक से बने इम्प्लांट से रिसरफेसिंग करते हैं। इस दौरान कार्टिलेज के दोनों तरफ 8-8 मिमी. की कैपिंग करते हैं। हिप रिप्लेसमेंट में कूल्हे की बॉल की जगह सेरेमिक या स्टेम टाइटेनियम बॉल इम्प्लांट करते हैं। फिर सूजन न रहे, इसके लिए ठंडा सेक करते हैं। ऑपरेशन के दिन ही रोगी अपने पैरों पर खड़ा होता है। जरूरी वर्कआउट व बातों को ध्यान में रखकर एक माह में रिकवरी हो जाती है।
इस कारण कट-कट की आवाज
घुटने या कूल्हे से कट-कट की आवाज आना परेशानी बढऩे की ओर इशारा करता है। आमतौर पर कार्टिलेज आरामदायक कुशन की तरह काम करते हुए दो हड्डियों के मूवमेंट में मदद करते हैं। इन कार्टिलेज के घिसने पर दोनों हड्डियां आपस में मिलकर घिसने व आवाज करने लगती हैं। इस स्थिति को मेडिकली ‘बोन ऑन बोन’ कहते हैं।
पोस्ट सर्जरी एक्सरसाइज मददगार
हिप या नी-रिप्लेसमेंट के बाद जल्दी रिकवरी के लिए रोगी को स्ट्रेचिंग व वार्मअप एक्सरसाइज और एंकल पंपिंग करनी होती है। इससे घुटना और कूल्हा अपनी जगह पर स्थिर होकर सही पोजीशन में आने के बाद सामान्य काम करते हैं। इसलिए जोड़ों में होने वाले दर्द को नजरअंदाज न करें और नियमित एक्सरसाइज कर दर्दभरी परेशानी से बचें।
हैलो डॉक्टर एक्सपर्ट पैनल
डॉ. अनूप झुरानी
ज्वॉइंट-हिप रिप्लेसमेंट एक्सपर्ट, फॉर्टिस अस्प.
डॉ. आशीष शर्मा, फिजियोथैरेपिस्ट, जयपुर
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