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मूली के पत्तों से फिट रखें लिवर, जानिए और उपाय

Published: Jul 28, 2015 09:47:00 am

मूली के ताजे पत्ते खून
व लिवर से अधिक बिलरूबीन (तरल जिसे लिवर बनाता है) निकालने में सक्षम होते
हैं

radish

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हेपेटाइटिस में व्यक्ति का लिवर (यकृत) ठोस हो जाता है जिससे पेट संबंधी कई परेशानियां होने लगती हैं। गंभीरता से न लेने पर यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। आइए जानते हैं इसके लिए कारगर कुछ आयुर्वेदिक उपायों के बारे में-

1. गिलोय का 20 मिलिलीटर रस, आंवले व ग्वारपाठे का 10-10 मिलिलीटर रस मिलाकर दिन में दो बार लेने से पाचनक्रिया व पेशाब संबंधी रोगों में लाभ होता है।
2. पुनर्नवा, रोहेड़ा की छाल, गोखरू, मकोय, डाब की जड़, इक्षुमूल व दारूहरिद्रा को रात में पानी में भिगो दें। सुबह छानकर 15-20 मिलिलीटर खाली पेट पीने से लिवर संब ंधी समस्याओं में आराम मिलता है।
3. मकोय के पत्ते, सफेद पुनर्नवा में हल्दी, काली मिर्च, धनिया व हल्का सेंधा नमक मिलाकर सब्जी बनाकर लेेने से लिवर की कठोरता व सूजन में लाभ होगा।
4. 15 मिलिलीटर ताजा गिलोय के रस में 20-25 किशमिश कूटकर मिलाएं। इससे उल्टी, पेट में जलन की समस्या में आराम मिलता है।
5. मूली के पत्ते, चुकंदर के पत्ते व पालक (तीनों 250 ग्राम मात्रा में) या दानामेथी के पत्तों के रस में 50 ग्राम चीनी व एक चम्मच नमक मिलाएं। इसे हेपेटाइटिस की पहली स्टेज व रोग ठीक होने के बाद दें। इससे खून की कमी दूर होती है।
6. मूली के ताजे पत्ते खून व लिवर से अधिक बिलरूबीन (तरल जिसे लिवर बनाता है) निकालने में सक्षम होते हैं। इसके पत्तों को पीसकर 15-20 मिलिलीटर रस दिन में दो बार लेने से पाचनक्रिया में सुधार होता है।
7. कुटकी, चिरायता, सौंफ, इलाइची व सोंठ को एक चौथाई चम्मच सभी समान मात्रा में लेकर दो चम्मच पानी मिलाएं व हल्का गुनगुना करें। इस पेस्ट को शहद में मिलाकर खाने से पाचनक्रिया दुरूस्त होगी।
8. तुलसी की पत्तियों के एक चम्मच पेस्ट को 200 मिलिलीटर मूली के पत्तों के रस में मिलाकर पीना भी इस रोग में लाभकारी है।

नाड़ी वैद्य शंभू शर्मा, वनौषधि विशेषज्ञ, जयपुर
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