scriptदूसरे ब्लड ग्रुप में भी किडनी ट्रांसप्लांट संभव | Kidney transplant possible in second blood group | Patrika News

दूसरे ब्लड ग्रुप में भी किडनी ट्रांसप्लांट संभव

locationजयपुरPublished: May 13, 2019 12:30:24 pm

Submitted by:

Jitendra Rangey

किडनी ट्रांसप्लांट में जागरूकता की कमी और डोनर-मरीज का ब्लड ग्रुप न मिल पाने से दिक्कत होती है। ऐसे में एबीओ इनकंपैटिबल विधि इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रही है। जानते हैं इसके बारे में।

Kidney transplant

Kidney transplant

तकनीक से दिक्कत हुई आसान
अब तक किडनी ट्रांसप्लांटेशन (प्रत्यारोपण) के लिए मरीज और डोनर का ब्लड ग्रुप एक होना जरूरी था लेकिन एबीओ इनकंपैटिबल किडनी ट्रांसप्लांट तकनीक से यह दिक्कत आसान हुई है। देश में करीब 5 से 6 लाख ऐसे मरीज हैं जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की तत्काल जरूरत है। इसके मुकाबले हर साल 3-4 हजार मामलों में ही किडनी ट्रांसप्लांटेशन हो पा रहे हैं। इसका बड़ा कारण है, जागरूकता की कमी और डोनर-मरीज का ब्लड ग्रुप न मिल पाना है। ऐसे में एबीओ इनकंपैटिबल विधि इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रही है। जानते हैं इसके बारे में…
यह है एबीओ तकनीक
एबीओ इनकंपैटिबल विधि में ए-बी-ओ का मतलब ब्लड गुप से है। इस तकनीक से मरीज और डोनर के अलग-अलग ब्लड ग्रुप के होने पर भी किडनी ट्रांसप्लांट की जा सकती है। खास बात यह है कि किडनी ट्रांसप्लांट से पहले मरीज व डोनर के एंटीबॉडीज का लेवल मानक के अनुरूप होना चाहिए। इसे डोनर के अनुरूप करने में दस दिन का समय लगता है। प्रतिदिन मरीज की बॉडी में प्लाज्मा एक्सचेंज तकनीक से एंटीबॉडीज की मात्रा घटाई जाती है।
डोनर को नहीं देते दवा
ज्यादातर लोगों को भ्रम है कि एक किडनी डोनेट करने पर वे कमजोर या बेकार हो जाएंगे। यह भ्रम है। दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिनमें जन्मजात ही एक किडनी होती है और वे सामान्य जीवन जीते हैं। डोनर को सिर्फ कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। डोनर को कोई दवा की जरूरत नहीं पड़ती। किडनी निकालने की प्रक्रिया छोटे ऑपरेशन से पूरी होती है। जिसमें शरीर पर कोई निशान भी नहीं रह जाता है।
7-10 दिन मेंं डिस्चार्ज
इस तकनीक से हुए किडनी ट्रांसप्लांट के अधिकांश मामलों में सफलता मिली है। सामान्य किडनी ट्रांसप्लांट की तरह इसमें भी मरीज को संक्रमण से बचने के लिए सावधानियां बरतनी होती हैं। 7-10 दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। जबकि पूरी तरह स्वस्थ होने में एक महीने का समय लग सकता है।
ट्रांसप्लांट की जरूरत किसे
किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत केवल उन्हें होती है जिनकी दोनों किडनी मात्र 10-15 फीसदी काम करती हैं। ऐसे मरीजों को तुरंत किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है। वहीं जिनके गुर्दे 15 फीसदी से अधिक काम कर रहे हैं उनका इलाज दवाइयों से किया जाता है।
डायलिसिस के खतरे भी
जिन मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है वे ज्यादातर डायलिसिस कराते हैं। लेकिन यह इलाज नहीं बल्कि अस्थायी विकल्प है। बार-बार डायलिसिस से मरीज को हार्ट अटैक और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐेसे में कम उम्र के मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करा देना चाहिए।
3-4 लाख रुपए आता है खर्च
किडनी ट्रांसप्लांट में 3-4 लाख रुपए का खर्च आता है। एबीओ तकनीक से ट्रांसप्लांट होने पर खर्च 25-30 फीसदी तक बढ़ जाता है। ये सुविधा मेट्रो सिटीज के अलावा बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, चंडीगढ़ में भी उपलब्ध है।
डॉ. श्रुति तपियावाला, वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट
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