परेशानियां ज्यादा
ट्विन प्रेग्नेंसी की जटिलताएं सिंगल प्रेग्नेंसी से अलग होती हैं। इस दौरान कुछ खास परेशानियां हो सकती हैं। गर्भाशय का आकार सामान्य से बड़ा हो और एक से अधिक हार्टबीट्स सुनाई दे रही हों, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। इसी से पता लगता है कि यह ट्विन प्रेग्नेंसी है या नहीं। जैसे ही ट्विन प्रेग्नेंसी का पता चले, अपने और होने वाले बच्चे की बेहतरी के लिए कुछ जरूरी कदम उठाएं।
इस दौरान कमजोरी अधिक हो सकती है। प्रसव के बाद ब्लीडिंग का खतरा भी ज्यादा रहता है। ट्विन प्रेग्नेंसी के अधिकतर मामलों में डिलिवरी के लिए सी-सेक्शन की जरूरत पड़ती है। जुड़वां बच्चे होने के ज्यादातर मामलों में समय से पहले डिलीवरी की आशंका होती है।
प्रेग्नेंसी में रहें खुश
ट्विन प्रेग्नेंसी में डॉक्टर से नियमित जांच जरूरी है। लगातार चैकअप कराते रहें ताकि बच्चों की स्थिति के बारे में पता चलता रहे और मां-बच्चों के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा सके। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि कई बार एक बच्चा कमजोर होता है और दूसरा स्वस्थ। ट्विन प्रेग्नेंसी में हर चौथे सप्ताह में चेकअप अवश्य कराएं। प्रसव का समय नजदीक आने पर डॉक्टर कुछ टेस्ट्स और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कह सकते हैं। ट्विन प्रेग्नेंसी में वजन अधिक बढ़ जाता है और यह बच्चे के विकास के लिए जरूरी भी होता है।
खयाल रखें खुद का
इस दौरान पोषकता से भरपूर भोजन लें, इसके अलावा फॉलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और दूसरे आवश्यक पोषक पदाथ जरूर लेते रहें। गर्भावस्था में पर्याप्त पानी पीना जरूरी है, ताकि शरीर में जल का सही स्तर बना रहे। उपवास या व्रत बिलकुल ना करें। भूखे न रहें, खाना बराबर और समय पर खाएं। बीच-बीच में हेल्दी स्नैक्स लेती रहें।
डॉक्टर की सलाह पर करें अमल
कई बार मां की स्थिति को देखते हुए डॉक्टर आपको बैड रेस्ट करने को कह सकती हैं। जो काम आप आराम से कर सकती हैं, उन्हें करें, लेकिन परेशान होकर कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है, इससे बचें। अगर वजन तेजी से बढ़ रहा हो या तेज सिरदर्द हो, तो डॉक्टर को दिखाएं। वजन ज्यादा होने से पैरों में सूजन आती है, इसलिए पैर लटकाकर देर तक न बैठें। नमक का सेवन कम करें, ताकि ब्लडप्रेशर अधिक न बढ़े।