scriptलाइलाज नहीं है कुष्ठ रोग | leprosy is curable | Patrika News

लाइलाज नहीं है कुष्ठ रोग

Published: Mar 29, 2018 05:05:57 am

लेप्रेसी या कुष्ठ रोग(कोढ़) के शिकार अधिकतर वे लोग होते हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे म

leprosy disease

leprosy

लेप्रेसी या कुष्ठ रोग(कोढ़) के शिकार अधिकतर वे लोग होते हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं। यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। जानते हैं इसके प्रमुख कारणों के बारे में।

प्रमुख कारण

यह बीमारी माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रई के कारण होती है जो सबसे पहले तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करता है। इससे त्वचा और पैरों में स्थित तंत्रिकाएं विशेष रूप से प्रभावित होती हैं और इनमें सूजन आ जाती है। तंत्रिकाएं अक्रियाशील हो जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप उस क्षेत्र की त्वचा की संवेदनशीलता समाप्त हो जाती है। जिन क्षेत्रों की तंत्रिकाएं प्रभावित होती हैं, वहां की मांसपेशियों की शक्ति भी धीरे-धीरे कम होने लगती है।

 

अधिक भीड़-भाड़ और गंदगी वाले इलाकों में यह रोग तेजी से फैलता है। जिन लोगों का रोग-प्रतिरोधक तंत्र बेहतर होता है उनमें इस रोग की तीव्रता कम होती है या उनके शरीर के कम क्षेत्रों की तंत्रिकाएं ही प्रभावित होती हैं। इस रोग का बैक्टीरिया बहुत धीमी गति से विकसित होता है। यह मस्तिष्क व स्पाइनल कोर्ड की तंत्रिकाओं पर भी आक्रमण कर सकता है। इसका प्रभाव आंखों और नाक की अंदरुनी परत की त्वचा पर भी हो सकता है।

रोग के लक्षण

चिकित्सकीय रूप से ये रोग दो प्रकार से दिखाई देता है। ट्यूबरक्युलॉयड और लेप्रोमैटस लेप्रेसी। ट्यूबरक्युलॉयड में रोगी के शरीर का एक या अधिक भाग संवेदनहीन हो जाता है। इन भागों की त्वचा सूख जाती है और वहां पिग्मेंटेशन (रंगत) कम हो जाता है जिसे हाइपोपिग्मेंटेशन कहते हैं। जिससे इन भागों की त्वचा हल्के रंग की हो जाती है। कई बार इन स्थानों के बाल भी झड़ जाते हैं।

 

इन क्षेत्रों की तंत्रिकाएं फूल जाती हैं और उनका आकार बढ़ जाता है साथ ही उनमें दर्द भी होता है। लेप्रोमैटस लेप्रसी में त्वचा का अधिक भाग शामिल होता है और पूरे शरीर की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे ये भाग संवेदनहीन हो जाते हैं। संवेदना समाप्त होने से बार-बार फोड़े व जलन होती है।

ऐसे फैलता है संक्रमण

ऐसे लोग जिनका रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है, वे इस बीमारी को फैलाने वाले बैक्टीरिया से बेहतर तरीके से नहीं लड़ पाते जिसके कारण यह बीमारी अत्यधिक फैल जाती है। इसमें शरीर की कई तंत्रिकाएं शामिल होती हैं। इसे लेप्रोमैटस लेप्रेसी कहते हैं। इन रोगियों की सांस में बैक्टीरिया होते हैं और ये दूसरों में संक्रमण फैलाने के स्रोत हैं।

उपचार

कुष्ठ रोगी आमतौर पर तब तक बीमार नहीं दिखता जब तक कि उसका शरीर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाता है। इस रोग का इलाज पूरी तरह से संभव है। ट्यूबरक्युलॉयड लेप्रेसी का उपचार छह महीने और लेप्रोमैटस लेप्रेसी का एक साल तक चलता है। लेप्रोमैटस रोगी उपचार प्रारंभ होने से पहले दूसरों के लिए बहुत संक्रामक होते हैं लेकिन इलाज शुरू होने के एक सप्ताह के अंदर ही वे संक्रमणहीन हो जाते हैं।

 

इसके अलावा जरूरी है कि हम अपने आस-पास गंदगी न फैलने दें। कूड़़े-कचरे का सही प्रकार से निस्तारण करें। कुष्ठ रोग के मरीज को विटामिन ए से भरपूर चीजें जैसे गाजर, चुकंदर, पालक, पत्तागोभी और शकरकंद अपनी डाइट में शामिल करनी चाहिए। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन सी से भरपूर चीजें खानी चाहिए।

बच्चे भी हो जाते हैं कुष्ठ रोग के शिकार।

दुनिया के कुष्ठ रोगियों में से 55 प्रतिशत भारत में है।

2010-11 में कुष्ठ रोग के 1 27 000 नए मामले पाए गए।

यह बीमारी माइक्रोबैक्-टीरियम लेप्रई के कारण होती है जो सबसे पहले तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करता है। इस रोग का बैक्टीरिया मस्तिष्क और स्पाइनल कोर्ड की तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो