सायनस : लगातार कफ बनने के साथ रात में गले में सूजन और सीने में जकडऩ होने लगे तो यह सायनस के संकेत हो सकते हैं। रोग के अन्य लक्षण भी हैं जैसे बुखार, चेहरे की हड्डियों में दर्द व नाक में रुकावट।
डेविएटेड नेसल सेप्टम : क्रॉनिक कफ , सिरदर्द, नाक में ब्लॉकेज, सांस लेने में दिक्कत, नाक से खून बहे व पेटदर्द हो तो यह नाक की झिल्ली में असमान्यता के संकेत हैं। सर्दियों में इसमें समस्या बढ़ जाती है।
ब्रोंकाइटिस : यह सांसनलियों से जुड़ा रोग है जिसमें सूजन आने से व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आती है। साथ ही कफ व सीने में दर्द महसूस होता है। सर्दी में कफ अधिक बनने से दिक्कत बढ़ सकती है।
अस्थमा : अस्थमा रोगी हैं और सर्दी-जुकाम के अलावा खांसी व सांस लेने में परेशानी है तो यह अस्थमा का अटैक हो सकता है। ऐसे में इंहेलर जरूर पास रखें।
टॉन्सिल्स : लंबे समय से कफ के साथ गले में सूजन और भोजन निगलने में दिक्कत हो तो इसका कारण मौसम में बदलाव से टॉन्सिल्स का फूलना हो सकता है।
निमोनिया : बलगम के साथ अत्यधिक खांसी आए तो यह निमोनिया का लक्षण है। रोग के अन्य लक्षणों में हरा कफ आना, बुखार, थकान और ठंड लगना है।
ये हमेशा याद रखें
एलर्जी और इंफेक्शन के कारण जुकाम, खांसी व कफ की दिक्कते होती हैं। जो किसी भी मौसम में हो सकती हैं। इससे बचने के लिए धूम्रपान व तंबाकू से दूरी बनाएं।
फ्रेगरेंस या अगरबत्ती की तेज खुशबू, पुरानी पुस्तकों की धूल, सोफे या बिस्तर के गंदे कवर और बेडशीट्स से भी एलर्जी हो सकती है। एसी अचानक कमरे का तापमान बदल देता है जिससे कफ की परेशानी बढ़ जाती है।