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जाड़ों में भी बनी रहे आंखों में नमी, करें ये उपाए

Published: Nov 28, 2017 03:45:03 pm

समय-समय पर आंखों की जांच करवाते रहें ताकि परेशानी होने पर समय से उपचार कराया जा सके।

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समय-समय पर आंखों की जांच करवाते रहें ताकि परेशानी होने पर समय से उपचार कराया जा सके।

लगातार कम्प्यूटर पर काम करने से आंखों में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, इनमें से एक है ‘ड्राई आई सिंड्रोम’। इससे बचाव के लिए काम के दौरान अपनी आंखों को आराम देना चाहिए, साथ ही खानपान की आदतों में भी सुधार करें। समय-समय पर आंखों की जांच करवाते रहें ताकि परेशानी होने पर समय से उपचार कराया जा सके।

जाड़ों में सर्द हवाओं से ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ की समस्या बढऩे की आशंका ज्यादा होती है। लेकिन आजकल कम्प्यूटर पर लगातार काम करने, ज्यादा टीवी देखने व लगातार एयरकंडीशनर में रहने से भी यह समस्या बढऩे लगी है। ऐसे में आंखों की टियर फिल्म प्रभावित होकर आंखें सूखने लगती हैं जिससे या तो आंखों में आंसू कम बनते हैं या उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती। टियर फिल्म प्रभावित होने से इसकी बाहरी परत जिसे लिपिड लेयर या ऑयली लेयर भी कहते हैं, पर भी फर्क पड़ता है। यह लेयर पलकों को चिकनाहट देकर उन्हें झपकने में मदद करती है। वहीं आंसू आंखों में नमी बनाए रखने में मदद करते हैं। टियर फिल्म प्रभावित होने से आंखों के झपकने की प्रक्रिया बाधित होती है। इसे ही ड्राई आई सिंड्रोम कहते हैं।

बीमारी के लक्षण
आंखों व सिर में भारीपन, धुंधला दिखाई देना, आंखों में जलन व पानी आना, सूखापन, पास की चीजें देखने में दिक्कत, रंगों का साफ दिखाई न देना, एक वस्तु का दो दिखना, थकान, गर्दन, कंधों व कमर में दर्द आदि। आंखों में ल्यूब्रिकेशन ठीक से न होने के कारण आंखों के सफेद हिस्से कंजक्टिवा में सामान्य से भी बहुत कम नमी रहती है। आंखों में आंसू, दर्द, बेचैनी और कॉर्निया में सूजन आ जाती है। 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में इसके होने की आशंका ज्यादा रहती है। कई बार आंखों में लगातार पानी आने लगता है। कॉन्टेक्ट लेंस से भी लोगों को जलन होने लगती है। यदि महिलाओं को कम उम्र में मेनोपॉज होता है तो सर्दी के दौरान ड्राई-आई सिंड्रोम की आशंका बढ़ जाती है।

ऐसे रहेंगी आंखें सुरक्षित
ठंडी हवा, धूल व धूप आदि से बचने के लिए धूप का चश्मा पहनें।
लंबे समय तक काम करने से आंखों में तनाव महसूस हो तो एक कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर १-२ मिनट के लिए पलकों पर रखें।
शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेते रहें।
चाय की बजाय ग्रीन-टी पीना आंखों के लिए फायदेमंद है।
हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल और दूध व दूध से बनी चीजें लें।
एयरकंडीशनर की हवा सीधे आंखों पर न पडऩे दें।
एन्टीरिफ्लेक्टिव कोटिंग व चश्मा इस्तेमाल कर सकते हैं।

काम करते समय थोड़ी-थोड़ी देर बाद पांच से दस मिनट के लिए नजर स्क्रीन से हटा लें व हर एक घंटे के बाद आंखों को दस मिनट के लिए आराम दें। ध्यान रखें कि कम्प्यूटर की स्क्रीन आपकी आंखों से 15 डिग्री नीचे की तरफ हो।
उपरोक्तबीमारियों से ग्रसित मरीज इस मामले में अधिक सावधानी बरतें।
शराब व तंबाकू से दूरी बनाएं।

बचाव के अन्य तरीके
इस परेशानी से बचने के लिए कुछ अन्य सावधानियां बरतना भी जरूरी हैं-
सिंटिंग का पोश्चर सही बनाएं रखें वर्ना आंखों के अलावा कई अन्य प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं।
कम्प्यूटर पर काम करने के दौरान 20-20-20 फॉर्मूला अपना सकते हैं। ऐसे में हर बीस मिनट बाद बीस फीट की दूरी पर रखी किसी भी वस्तु को करीब 20 सेकंड के लिए देखें। इस बीच अपनी आंखों को लगातार झपकाते रहें।
बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी आई ड्रॉप का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
आंखों संबंधी किसी भी तरह की समस्या
होने पर उसे टालें नहीं, नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।
आंखों की सेहत के लिए इससे जुड़े व्यायाम को रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल करें।

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