ये आदतें रखेंगी स्वस्थ-
स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। इसलिए नौकरीपेशा व घर की जिम्मेदारी संभाल रही महिला के लिए जरूरी है कि वह समय से पौष्टिक नाश्ता करें। इसके अलावा दिन में एक घंटे का आराम जरूरी है। मौसम के अनुसार खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिस जगह पर रह रहे हैं वहां का परंपरागत खाना खाने से रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है। वजन नियंत्रित रहता है। मानसिक ताकत बढ़ती है। मानसिक रचनात्मकता बढ़ती है। इससे महिला तनाव व अवसाद में नहीं जाती है। खानपान में लापरवाही, योग, व्यायाम की कमी से कई दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। इसके लिए जरूरी है कि पौष्टिक व संतुलित आहार लें। जितनी भूख है उतना ही खाएं। जब तक हजम न हो तब तक कुछ न खाएं। गुनगुना पानी पीएं। खाना खाने से नहीं, अच्छे से हजम होने से ताकत बढ़ती है। उसके लिए बार-बार खाना जरूरी नहीं है।
स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। इसलिए नौकरीपेशा व घर की जिम्मेदारी संभाल रही महिला के लिए जरूरी है कि वह समय से पौष्टिक नाश्ता करें। इसके अलावा दिन में एक घंटे का आराम जरूरी है। मौसम के अनुसार खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिस जगह पर रह रहे हैं वहां का परंपरागत खाना खाने से रोग प्रतिरोधकता बढ़ती है। वजन नियंत्रित रहता है। मानसिक ताकत बढ़ती है। मानसिक रचनात्मकता बढ़ती है। इससे महिला तनाव व अवसाद में नहीं जाती है। खानपान में लापरवाही, योग, व्यायाम की कमी से कई दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। इसके लिए जरूरी है कि पौष्टिक व संतुलित आहार लें। जितनी भूख है उतना ही खाएं। जब तक हजम न हो तब तक कुछ न खाएं। गुनगुना पानी पीएं। खाना खाने से नहीं, अच्छे से हजम होने से ताकत बढ़ती है। उसके लिए बार-बार खाना जरूरी नहीं है।
ये 7 पोषक तत्व जरूरी –
महिलाओं और पुरुषों में न सिर्फ शरीर की बनावट का अंतर होता है बल्कि उनकी शारीरिक जरूरतों में भी फर्क होता है। महिलाओं में समय-समय पर हार्मोन संबंधी बदलाव होते हैं। इसके लिए कुछ ऐसे पोषक तत्व जो महिलाओं को लेना जरूरी होता है।
महिलाओं और पुरुषों में न सिर्फ शरीर की बनावट का अंतर होता है बल्कि उनकी शारीरिक जरूरतों में भी फर्क होता है। महिलाओं में समय-समय पर हार्मोन संबंधी बदलाव होते हैं। इसके लिए कुछ ऐसे पोषक तत्व जो महिलाओं को लेना जरूरी होता है।
कैल्शियम : महिलाओं में उम्र के साथ हड्डियों, जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ती है। इसके लिए दूध, पनीर, दही, छाछ आदि का प्रयोग करें। आयरन : आयरन से कोशिकाओं को ऑक्सीजन मिलता है। इसकी कमी से थकान लगती है। पालक, बीन्स, हरी सब्जियां लें।
विटामिन डी : विटामिन डी आंतों से कैल्शियम सोखकर हड्डियों में पहुंचाता है। इसकी कमी से शरीर में कैल्शियम अवशोषित नहीं होता है। सूर्योदय की 15 मिनट धूप, मक्खन, दूध लेना चाहिए। फोलिक एसिड : यानी विटामिन बी-9 पोषक तत्वों को अवशोषित करता, नर्वस सिस्टम को सही रखता है। इसकी कमी से गर्भस्थ शिशु के विकास व रीढ़ की हड्डी विकसित विकसित नहीं होती हैं। पत्तेदार सब्जियों, बीन्स, सेम, राजमा में पाया जाता है।
प्रोटीन : यह मांसपेशियों के निर्माण, मेटाबॉलिज्म नियंत्रित करता है। दूध, दूध से बनी चीजों, सोया, अंडा चिकन में पाया जाता है। महिलाओं को 50 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए। फाइबर : फाइबर पाचन को बेहतर करता है। ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखता है। यह रेशेदार फल, सब्जियों, बाजरा, जौ, काजू, बादाम से प्रतिदिन 25 ग्राम लेना चाहिए।
विटामिन सी : निखरी त्वचा व दमकते चेहरे के लिए विटामिन सी युक्त चीजों को खूब लेना चाहिए। यह संतरे, हरी मिर्च, फूलगोभी, खट्टे फलों में पाया जाता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड : यह हृदय संबंधी बीमारियों से बचाता है। यह अखरोट, अलसी और ठंडे पानी की मछलियों में सबसे ज्यादा पाया जाता है।
बीमारियों से ऐसे बचें –
महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ खानपान व जीवनशैली में जरूरी बदलाव न होने से कुछ बीमारियां भी दस्तक दे सकती हैं। लक्षणों के आधार पर बीमारी की पहचान कर बचा जा सकता है।
महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ खानपान व जीवनशैली में जरूरी बदलाव न होने से कुछ बीमारियां भी दस्तक दे सकती हैं। लक्षणों के आधार पर बीमारी की पहचान कर बचा जा सकता है।
जरूर जानें –
गांठें या रसौली –
ओवरी में सिस्ट (गांठें) या यूट्रस में फाइब्रॉइड (रसौली) की समस्या बढ़ रही है। ज्यादातर गांठें दवा से ठीक हो जाती हैं। इलाज न होने से गांठों से फ्लूड ट्यूमर और रसौली से ठोस ट्यूमर होते हैं।
दिक्कत : पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा हो और 15-20 दिन में दोबारा होने से फाइब्रॉइड बनने की आशंका बढ़ती है।
क्या करें: फाइब्रॉइड या सिस्ट के कैंसर में बदलने की आशंका होती है। चिकित्सक से परामर्श लें।
गांठें या रसौली –
ओवरी में सिस्ट (गांठें) या यूट्रस में फाइब्रॉइड (रसौली) की समस्या बढ़ रही है। ज्यादातर गांठें दवा से ठीक हो जाती हैं। इलाज न होने से गांठों से फ्लूड ट्यूमर और रसौली से ठोस ट्यूमर होते हैं।
दिक्कत : पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा हो और 15-20 दिन में दोबारा होने से फाइब्रॉइड बनने की आशंका बढ़ती है।
क्या करें: फाइब्रॉइड या सिस्ट के कैंसर में बदलने की आशंका होती है। चिकित्सक से परामर्श लें।
समय से पहले मेनोपॉज-
40 की उम्र से पहले पीरियड्स में कमी व बंद होने को अर्ली मेनोपॉज कहते हैं। खानपान व जीवनशैली में बदलावा की वजह से करीब चार फीसदी महिलाओं को मेनोपॉज 29 से 34 साल की उम्र में हो जाता है।
40 की उम्र से पहले पीरियड्स में कमी व बंद होने को अर्ली मेनोपॉज कहते हैं। खानपान व जीवनशैली में बदलावा की वजह से करीब चार फीसदी महिलाओं को मेनोपॉज 29 से 34 साल की उम्र में हो जाता है।
परेशानी : नौकरीपेशा महिलाओं में बढ़ता मानसिक तनाव, अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल भी वजह है। भावनात्मक परेशानी ज्यादा होती है।
बचाव : पीरियड्स के फ्लो में कमी व नियमित न आए तो खानपान व दिनचर्या में सुधार करें।
बचाव : पीरियड्स के फ्लो में कमी व नियमित न आए तो खानपान व दिनचर्या में सुधार करें।
बचाव जरूरी
ऑस्टियो-ऑर्थराइटिस-
ऑफिस में बैठे रहने की नौकरी, व्यायाम की कमी, मोटापा व कैल्शियम की कमी से इसकी आंशका बढ़ती है। इससे जोड़ों में दर्द, हड्डियों को कमजोर होना, जकडऩ की समस्या बढ़ती है।
तकलीफ : जोड़ों व आसपास की मांसपेशियों में दर्द, नींद में कमी, सुबह जोड़ों में जकडऩ और हल्की चोट से भी फ्रैक्चर होता है।
सावधानी : वजन घटाएं। व्यायाम करें। प्रोटीन, कैल्शियम युक्त चीजें लें। कैफीन युक्त चीजें लेने से बचें।
ऑस्टियो-ऑर्थराइटिस-
ऑफिस में बैठे रहने की नौकरी, व्यायाम की कमी, मोटापा व कैल्शियम की कमी से इसकी आंशका बढ़ती है। इससे जोड़ों में दर्द, हड्डियों को कमजोर होना, जकडऩ की समस्या बढ़ती है।
तकलीफ : जोड़ों व आसपास की मांसपेशियों में दर्द, नींद में कमी, सुबह जोड़ों में जकडऩ और हल्की चोट से भी फ्रैक्चर होता है।
सावधानी : वजन घटाएं। व्यायाम करें। प्रोटीन, कैल्शियम युक्त चीजें लें। कैफीन युक्त चीजें लेने से बचें।
समस्या –
पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी)
महिला के गर्भाशय में मेल हार्मोन एंड्रोजेन का स्तर बढऩे से गर्भाशय में गांठें बनने लगती हैं। महिलाओं के शरीर में अधिक चर्बी, हार्मोनल असंतुलन, तनाव प्रमुख कारण हैं, जिससे यह दिक्कत होती है।
दिक्कत : अनियमित माहवारी, ब्लीडिंग कम या अधिक, चेहरे पर बाल, मुंहासे निकलते हैं। वजन बढ़ता है। गर्भधारण में दिक्कत आती है।
क्या करें : वजन नियंत्रित रखें। व्यायाम करें। मीठी व तली-भुनी चीजें, जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक्स व कैफीन युक्त चीजें लेने से बचें। पौष्टिक व रेशेदार चीजें खाएं।
पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी)
महिला के गर्भाशय में मेल हार्मोन एंड्रोजेन का स्तर बढऩे से गर्भाशय में गांठें बनने लगती हैं। महिलाओं के शरीर में अधिक चर्बी, हार्मोनल असंतुलन, तनाव प्रमुख कारण हैं, जिससे यह दिक्कत होती है।
दिक्कत : अनियमित माहवारी, ब्लीडिंग कम या अधिक, चेहरे पर बाल, मुंहासे निकलते हैं। वजन बढ़ता है। गर्भधारण में दिक्कत आती है।
क्या करें : वजन नियंत्रित रखें। व्यायाम करें। मीठी व तली-भुनी चीजें, जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक्स व कैफीन युक्त चीजें लेने से बचें। पौष्टिक व रेशेदार चीजें खाएं।