अमेरिका की सैंट लुईस यूनिवर्सिटी (एसएलयू) के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह डीएमडी से पीडि़त लोगों के लिए नई दवा के निर्माण के लिए एक कारगर तरीका प्रदान कर सकती है। यूनिवर्सिटी के थॉमस बरीस और कॉलिन फ्लैवनी का उद्देश्य इन रिसेप्टर्स को लक्षित करने वाले सिंथेटिक यौगिकों को विकसित करना था, ताकि शरीर के प्राकृतिक हार्मोन कैसे काम करते हैं, उसके अनुसार रोगों के उपचार के लिए दवाएं तैयार की जा सकें।
फ्लैवनी ने कहा, ‘‘शोध के दौरान हमने पाया है कि आरईवी-ईआरबी मांसपेशियों के ऊतक के विकास के प्रत्येक चरण में अद्वितीय भूमिका निभाते हैं।’’ आरईवी-ईआरबी शरीर में नींद से लेकर कोलेस्ट्रॉल तक प्रमुख प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है और हालिया निष्कर्षों से पता चला है कि यह मांसपेशियों के लिए भी सहायक है।
शोध दल ने पाया कि आरईवी-ईआरबी मांसपेशियों के विभेद का नियंत्रक है और इस रिसेप्टर को रोकने वाली एसआर 8278 नामक दवा तीव्र चोट के बाद भी मांसपेशियों को दोबारा बनने के लिए उत्तेजित करती है। डीएमडी मांसपेशियों को खराब करने वाले विकार का एक घातक रूप है, जो एक्स गुणसूत्र वालों में जीन उत्परिवर्तन के कारण होता है।
उपचार के बावजूद डीएमडी पीडि़त लोगों का जीवनकाल लगभग 25 वर्ष तक ही रहता है। इस रोग से पीडि़त लडक़ों को आमतौर पर 12 वर्ष की उम्र में व्हीलचेयर और सांस लेने के लिए मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत पडऩे लगती है।
कई रोगियों को हृदय या श्वसन तंत्र की खराबी का सामना करना पड़ता है। चूहों पर किए गए शोध से पता चला किएसआर8278 दवा ने मांसपेशियों के क्रियान्वयन में वृद्धि की और मांसपेशी फाइब्रोसिस और मांसपेशियों में प्रोटीन गिरावट को भी कम किया। यह शोध ‘नेचर जर्नल साइंटिफिक रिपोट्र्स’ में प्रकाशित हुआ है।