जांच के लिए मरीज को एक मशीन से जुड़ी टेबल पर लेटाते हैं। इसके बाद उसकी बॉडी स्कैन होती है जिससे कई इमेज मिलती हैं। इनकी मदद से हृदय में धीमे रक्तसंचार, धमनियों में ब्लॉकेज व सीने में दर्द (एनजाइन पेन) के कारणों का पता लगाया जाता है। ऐसा मशीन की फ्रीक्वेंसी के कारण संभव हुआ। अब तक होने वाली एमआरआई की फ्रीक्वेंसी 1.5 टेस्ला थी लेकिन ओपन एमआरआई की फ्रीक्वेंसी 3.0 है। इससे धमनियों से जुड़ी समस्या को बेहद बारीकी से देखने के बाद इलाज आसान हो सकेगा।
इस मशीन से जांच के दौरान कोई आवाज नहीं होती। आमतौर पर सामान्य एमआरआई के दौरान जिन मरीजों को मशीन में जाने के दौरान डर या घबराहट होती थी उनके लिए यह बेहतर है। अधिक वजन के मरीजों को भी इस एमआरआई के दौरान तकलीफ नहीं होगी। यह जांच मेट्रो शहरों में उपलब्ध है। जल्द ही इसकी शुरुआत जयपुर के सरकारी अस्पतालों में होगी।