प्रकार : लिवर कैंसर दो प्रकार का होता है। प्राथमिक जो सीधे लिवर की कोशिकाओं में पनपता है। मेटास्टैटिक कैंसर जो दूसरे अंगों में प्रारंभ होकर लिवर में फैलता है। फेफड़ों, बड़ी आंत, पेट व ब्रेस्ट कैंसर भी लिवर तक फैल जाते हैं। कई मामलों में लिवर कैंसर में जब तक मरीज को रोग का पता चलता है तब तक रोग दूसरे अंगों में भी फैल चुका होता है। इसलिए जिन्हें इस कैंसर की आशंका रहती है वे नियमित जांच करवाते रहें।
कारण : ज्यादातर मामलों में इसकी वजह अज्ञात है। कई बार हिपैटाइटिस वायरस से होने वाले संक्रामण के बढ़ने, शराब पीने, आनुवांशिक लिवर रोग जैसे हेमोक्रोमैटोसिस व विल्सन डिजीज और फैटी लिवर डिजीज से रोग हो सकता है। म्यूटेशन के कारण डीएनए में बदलाव होने से कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित होने लगती हैं जो इस कैंसर की वजह बनती है।
लक्षण : प्राथमिक स्तर पर इसके लक्षण नहीं दिखते लेकिन बाद में वजन कम होना, पेट के ऊपरी भाग में दर्द, उल्टी, कमजोरी, पेट पर सूजन, नाक से खून आना, त्वचा व आंखों के सफेद भाग का पीलापन व सफेद मल आना जैसी दिक्कतें होती हैं।
क्या है इलाज –
सर्जरी : लिवर में प्रभावित हिस्से के आसपास के ऊत्तकों को ऑपरेशन कर निकालते हैं। लिवर में ट्यूमर किस जगह है उसपर सर्जरी निर्भर करती है।
नॉन सर्जिकल : इसके दो तरीके हैं। पहला कीमो एम्बोलाइजेशन इसमें एंटी-कैंसर ड्रग को सीधे लिवर की रक्तवाहिकाओं में इंजेक्ट करते हैं। दूसरा,रेडियो-फ्रीक्वेंसी एबलेशन इसमें कैंसर टिश्यूज को नष्ट करने या सिकोडऩे के लिए उच्च क्षमता वाली उर्जा की किरणों जैसे एक्स-रे व प्रोटॉन प्रयोग करते हैं। ये किरणें केवल लिवर पर असर करती हैं।
लिवर ट्रांस्प्लांट : खराब लिवर की जगह स्वस्थ लिवर को प्रत्यारोपित करते हैं। जिनके लिवर में छोटे-छोटे ऐसे ट्यूमर जो रक्त नलिकाओं तक न फैले हों उनमें यह ट्रांस्प्लांट होता है।
रोबोटिक सर्जरी : सर्जन कम्प्यूटर से रोबोट को नियंत्रित करते हैं। शरीर में छोटे-छोटे छेद लगाने से दर्द नहीं होता व निशान नहीं दिखते। जटिलताएं कम होने से रिकवरी जल्दी होती है व मरीज को अस्पताल से जल्दी छुट्टी दे देते हैं।