scriptअंगूठे-रिंग फिंगर की कंपकंपी को हल्के में न लें | Parkinson: Symptoms and treatment | Patrika News

अंगूठे-रिंग फिंगर की कंपकंपी को हल्के में न लें

Published: Apr 14, 2015 01:00:00 pm

शुरूआत में अंगुलियों में हल्की कंपकंपी होती है, जिससे अंगूठे और रिंग फिंगर में लगातार कंपकंपी होने लगती है

कई बार शरीर के कुछ हिस्से में कंपकंपी होने लगती है और उस पर आपका कंट्रोल कम होने लगता है। ऎसे किसी भी लक्षण को आप हल्के में ना लें, क्योंकि ये पार्किसन रोग के लक्षण हो सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है पार्किसन-

पार्किसन रोग

यह तंत्रिका से संबंधित बीमारी है। इसमें धीरे-धीरे स्नायु तंत्र पर नियंत्रण कम होने लगता है और शरीर विकलांगता की ओर बढ़ता है। इसे “प्रोग्रेसिव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर” भी कहते हैं।

ऎसे होता है पार्किसन
इस रोग में मस्तिष्क में डोपामाइन रसायन (न्यूरोट्रांसमीटर) की कमी हो जाती है। जब इस हार्मोन की कमी होती है तो शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले स्नायु पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिससे जोड़ों व मांसपेशियों की गतिविधि पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है। यह रोग नशे की दवा लगातार लेने और कीटनाशको के कारण भी हो सक ता है।

लक्षण
शुरूआत में अंगुलियों में हल्की कंपकंपी होती है जिसके फलस्वरूप अंगूठे व अनुष्ठा अंगुली (रिंग फिंगर) के बीच लगातार अनियंत्रित कंपकंपी होने लगती है इसे “पिनरोल मूवमेंट” कहते हैं। धीरे-धीरे रोगी की मांसपेशियों में जकड़न व सख्ती आने लगती है। इससे चलने-फिरने में दिक्कत होती है। रोगी छोटे-छोटे कदम व शरीर घसीटकर चलने लगता है। उसकी लिखावट बिगड़ने लगती है। चेहरे के भाव शून्य हो जाते हैं। उठने-बैठने व हाथों से किए जाने वाले कामों में परेशानी होती है। धीरे-धीरे रोगी शारीरिक संतुलन खोकर दूसरों पर निर्भर जीवन जीने लगता है।

इलाज
इस रोग की पहचान करने में आधुनिक जांचें कारगर नहीं हैं। एमआरआई, सीटी स्कैन आदि पार्किसन के संकेत दे सकती हैं लेकिन इसकी पूरी पहचान न्यूरोफिजिशियन या न्यूरोसर्जन ही कर पाते हैं। आजकल कई ऎसी दवाएं हैं जिनसे शुरूआत में ही यह रोग पकड़ में आ जाए तो इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।
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