रोग और उपचार

इस कारण से भी लड़कियों में हो सकती है माहवारी से जुड़ी समस्याएं

पीसीओएस आज नव युवतियों की लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी बन चुकी है।

May 26, 2019 / 04:51 pm

विकास गुप्ता

पीसीओएस आज नव युवतियों की लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी बन चुकी है।

पीसीओएस आज नव युवतियों की लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी बन चुकी है। पहले जहां हार्मोनल असंतुलन की समस्या बड़ी उम्र की महिलाओं में ही हुआ करती थी अब पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) की वजह से 13 से 25 साल की 10 में से 2 लडकियां पीसीओएस का शिकार हो रही हैं।

लक्षण –
पीसीओएस के प्रमुख लक्षणों में मोटापा, अत्यधिक व ठीक न होने वाले एकने, पिंपल्स, बालों का झडऩा व पतले होना, माहवारी का देर से या कई महीनों तक न आना, माहवारी के समय अत्यधिक दर्द होना, अनियमित माहवारी होना, चेहरे पर व खास तौर पर गालों पर बालों का अधिक आना आदि हैं। इसकी वजह से अत्यधिक चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स, डिप्रेशन आदि समस्याएं हो सकती हैं।

कारण –

पीसीओएस के प्रमुख कारणों में अनियमित दिनचर्या, देर से सोना व सुबह देर से जागना, बैठे रहने वाले कार्य अधिक करना, शारीरिक श्रम का अभाव, मोबाइल व लैपटॉप का अत्यधिक प्रयोग, फास्ट फूड, पैक्ड फूड का प्रयोग आदि हैं। कुछ मामलों में आनुवांशिकता भी एक कारण हो सकता है।

उपचार –
लक्षणों के अनुसार सही चयनित होम्योपैथी दवा पीसीओएस को ठीक करने में कारगर है। महत्त्वपूर्ण होम्यापैथिक औषधियां पल्सेटीला, लाइकोपोडियम, एपिस, कैलकेरिया कार्ब, बैलाडोना, ग्रेफाइटिस आयोडियम, फास्फोरस, थूजा आदि हैं। विशेषज्ञ की देखरेख में ही दवा लें। नियमित व्यायाम, मोबाइल व लैपटॉप से दूरी और नियमित दवा लेना जरूर है।

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