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मुंहासे और ऑयली स्किन भी हैं बांझपन के लक्षण

Published: Aug 20, 2015 10:17:00 am

यदि कोई महिला
मुंहासे से ग्रस्त है, उसका वजन भी बढ़ रहा है, तो
समझिए वह PCOS नामक हार्मोन असुंतलन से गुजर रही है

stomach pain

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नई दिल्ली। आमतौर पर पॉलिसिस्टिक ऑवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भारतीय प्रजनन आयु की महिलाओं में अंत:स्त्रावी विकारों में एक ऎसा विकार है, जिससे बांझपन होता है। यदि कोई महिला दर्दनाक अनियमित मासिक धर्म या मुंहासे से ग्रस्त है और उसका वजन भी बढ़ रहा है, तो समझिए वह पीसीओएस नामक हार्मोन असुंतलन से गुजर रही है।

नई दिल्ली स्थित फोर्टिस लाफेमे हॉस्पिटल में स्त्रीरोग व बांझपन विशेषज्ञ डॉ. ऋषिकेश पाय कहते हैं कि बांझपन उत्पन्न करने वाला पीसीओएस एक अत्यधिक सामान्य सिंड्रोम है जो इन दिनों भारतीय महिलाओं में देखा गया है। हालांकि अधिकांश महिलाएं अभी इस सिंड्रोम से अनभिज्ञ हैं। यह मुंहासे से लेकर, वजन बढ़ाने और हार्मोन असुंतलन जैसी अन्य समस्याएं भी उत्पन्न करता है।



वह कहते हैं कि इसकी रोकथाम के लिए जरूरी है कि यदि किसी महिला को ये लक्षण दिखाई देने लगे, तो वह अपने चिकित्सक से सलाह लें :

-अनियमित मासिक धर्म (विलंबित चक्र)
-मोटापन (मध्य क्षेत्र के आसपास-पेट और जांघों में मोटापन)
-अतिरोमता (चेहरे या शरीर पर अनचाहे बाल)
-सिर के बालों में पतलापन
-मनोवृत्ति में अचानक व अत्यधिक बदलाव
-स्तनों के विकास में कमी
-झुनझुनाहट (त्वचा का मोटा होना)
-तैलीय त्वचा और मुंहासे



डॉ. पाय कहते हैं कि गंभीर स्थिति से बचने के लिए पीसीओएस का प्रारंभिक निदान होना आवश्यक है।

पीसीओएस के उपचार

डिंबक्षरण : गर्भ धारण करने के लिए महिलाओं में अंडोत्सर्ग होना जरूरी है, लेकिन यह सिंड्रोम डिंबक्षरण में समस्याएं पैदा करता है, जिसे औषधि-प्रयोग द्वारा ठीक किया जा सकता है।

लैप्रोस्कोपी (कीहोल सर्जरी) :
यह गर्भाशय और ट्यूब की जांच के लिए किया जाता है और पुटिका की लैप्रोस्कोपिक ड्रिलिंग की जा सकती है। इसमें अंडाशय की पुटिका विद्युतधार प्रवाह के साथ पतली सुई के प्रयोग से जला दी जाती है। यह हार्मोन असुंतलन में सुधार लाती है और गर्भावस्था प्राप्त करने में सहायक हो सकती है। लेकिन डिंबग्रंथि ड्रिलिंग का प्रयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना होगा, क्योंकि अनुचित तरीका अपनाने से सामान्य डिंबग्रंथि ऊतक के साथ मिल सकते हैं।

पीसीओएस से लड़ने के लिए प्राकृतिक उपाय :

1. फर्टिलिटी डाइट खाएं : विशिष्ट पीसीओएस फर्टिलिटी डाइट खाने में सबसे अच्छी बात यह है कि आपके गर्भवती होने के अवसर बढ़ सकते हैं।

2. अपने दैनिक आहार में प्रोटीन-काबोर्हाइड्रेट की समान मात्रा मिलाएं समान मात्रा में प्रोटीन व काबोर्हाइड्रेट खाने से आपका इंसुलिन स्तर संतुलित रहता है, और इस तरह अपनी प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है।

3. प्रतिदिन पांच भोजनों से बीमारियां दूर रहती हैं, इन पांच भोजनों में तीन नियमित भोजन और दो स्वास्थ्यवर्द्धक अल्पाहार या पांच छोटे-छोट भोजन-
पहला अल्पाहार लंच के पहले लें।
दूसरा अल्पाहार सोने से कम से कम 1 घंटे पहले लें।
पांच भोजनों में सब्जियों को शामिल करें। हर किसी से हरी सब्जियों का जादू नहीं छिपा है। ये हर काम और हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद है।



4. सप्ताह में पांच दिन न्यूनतम 40 मिनट व्यायाम करें। व्यायाम से पीसीओएस में अत्यधिक मदद मिलती है, जिससे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार और इसी के साथ-साथ चयापचय दर में वृद्धि तथा वजन कम करने में मदद मिलती है। आप ऎरोबिक्स और प्रतिरोध व्यायाम कर सकते हैं, दोनों ही फायदेमंद है।

5. कॉफी पीना छोड़ दें : तुरंत नतीजे के लिए, कॉफी का सेवन करना कम या बंद कर दें। कॉफी के सेवन को कम करने से एस्ट्रोजन स्तरों में काफी कमी आ सकती है।

इन सभी के संगम से प्रजनन-क्षमता में वृद्धि होकर, स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सकता है। पीसीओएस के लक्षण प्रकट होने पर हार्मोन संतुलन को बनाए रखना, उन्नत एस्ट्रोजन चयापचय के लिए स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देना और नियमित डिंबक्षरण व मासिक धर्म को भी उन्नत करना जरूरी है।
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