रक्तहोता प्रदूषित
चूल्हे, फैक्ट्री, कारखानों और गाडिय़ों आदि से निकलने वाले धुएं में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि कैमिकल्स का समूह सांसनली से होते हुए सबसे पहले फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
इनमें बेहद सूक्ष्म कण भी होते हैं जो फेफड़ों के अलावा रक्तवाहिकाओं में प्रवेश करके उन्हें भी प्रभावित करने लगते हैं जिससे शरीर के अन्य अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह स्थिति शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए एक आसामान्य व तनावयुक्त स्थिति बन जाती है। ऐसे में कार्टिसोल, एड्रीनलिन व नॉर एड्रीनलिन जैसे स्ट्रेस हार्मोंस जरूरत से ज्यादा स्त्रावित होने लगते हैं। इससे ग्लूकोज का मेटाबॉलिज्म बिगड़ जाता है व डायबिटीज की शुरुआत होती है।
हाई कोलेस्ट्रॉल
सामान्यत: हमारे शरीर को कोलेस्ट्रॉल की सीमित मात्रा मेें जरूरत होती है ताकि यह कोशिकाओं, हार्मोन व पाचकरस का निर्माण कर सके। इसका निर्माण लिवर करता है। लेकिन जब सांस के साथ प्रदूषित वायु अंदर जाती है तो यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा देती है।
इन्हें ज्यादा खतरा
जो लोग ज्यादा देर तक प्रदूषित हवा में रहते हैं, उनमें इंसुलिन बनने व कार्य करने की क्षमता कम होने लगती है। इससे रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ती है व कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक हो जाता है। इसके अलावा जिनका वजन अधिक हो, फैमिली हिस्ट्री या तनाव में रहने वाले लोगों को भी डायबिटीज हो सकती है।
ध्यान रखें
व्यायाम, वॉक व जॉगिंग आदि के लिए सुबह का समय चुनें क्योंकि इस दौरान हवा में प्रदूषण की मात्रा कम होती है।