रोग और उपचार

बदलते मौसम में अपना खास खयाल रखें गर्भवती महिलाएं

मौसमी बीमारियां जैसे चिकनगुनिया, मलेरिया व डेंगू आदि बच्चों, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को जल्दी घेरते हैं क्योंकि अक्सर इनकी इम्युनिटी कमजोर

Jun 29, 2019 / 02:16 pm

युवराज सिंह

बदलते मौसम में अपना खास खयाल रखें गर्भवती महिलाएं

मौसमी बीमारियां जैसे चिकनगुनिया, मलेरिया व डेंगू आदि बच्चों, बुजुर्ग व गर्भवती महिलाओं को जल्दी घेरते हैं क्योंकि अक्सर इनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। ऐसे में कई बार मौसमी बीमारी का वायरस गर्भवती से बच्चे में भी जाने का खतरा रहता है। थोड़ी सावधानी बरतकर यदि शुरुआती स्थिति में ही इलाज करा लिया जाए तो गर्भस्थ शिशु को बीमारी की चपेट में आने से रोका जा सकता है। जानते हैं इस दौरान क्या सावधानी बरतें…
बचाव ही बेहतर इलाज :
प्रेग्नेंसी के दौरान पूरी बाजू के कपड़े पहनें, साफ-सफाई रखें, मच्छरों को दूर रखने के लिए रेपेलेंट क्रीम लगाएं व अन्य टीकाकरण के साथ डेंगू वैक्सीन भी लगवाएं।

शुरुआती पहले व अंतिम तीन माह में अधिक खतरा:
समय रहते इलाज मिल जाए तो चिकनगुनिया व डेंगू को 4-5 दिनों में नियंत्रित किया जा सकता है। अधिक देरी से शरीर का तापमान बढ़ने के साथ पानी की ज्यादा कमी हो सकती है। ऐसे में गर्भावस्था के शुरुआती व अंतिम तीन महीनों में शिशु को अधिक खतरा रहता है। इस दौरान मां के शरीर में पानी की कमी होने से गर्भस्थ शिशु का शारीरिक विकास बाधित हो सकता है।
बुखार के बाद थकान हो तो भी न करें नजरअंदाज
किसी भी तरह का वायरस जब शरीर पर हमला करता है तो पहले लक्षण के रूप में बुखार सामने आता है। इसके बाद ही अन्य परेशानियां जैसे अधिक प्यास लगना, पसीना आना, थकान आदि महसूस होती हैं। ऐसे में लापरवाही किए बगैर फौरन चिकित्सक से संपर्क करें। इसके अलावा घर के आसपास मरीज अधिक हैं तो गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
ये जांच कराएं
गर्भवती की सीबीटी (कम्प्लीट ब्लड टैस्ट) जांच की बजाय आरटीपीसीआर (रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन पॉलिमरेज चेन रिएक्शन) टैस्ट कराना चाहिए क्योंकि इसमें वायरस की पहचान तुरंत होती है। यह टैस्ट थोड़ा महंगा है लेकिन इससे सटीक इलाज किया जा सकता है।

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