खेलते-कूदते या दौड़ते वक्त लगी चोट में सबसे अधिक नुकसान मांसपेशी, लिगामेंट और हड्डी के साथ मांस को जोडऩे वाले टिश्यू जिसे टेंडन भी कहते हैं इनमें अधिक होता है। कुछ मामलों में उस हिस्से की हड्डी भी टूट जाती है जिसका इलाज ऑपरेशन से ही होता है। चोट और उसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई जांच करवाते हैं। गंभीर मामलों में मसल्स में हुई दिक्कत को जानने के लिए कलर डॉप्लर टैस्ट भी कराया जाता है।
प्राइस थैरेपी अंग्रेजी के शब्द (पीआरआईसीई) से बना है। फिजियोथैरेपी में पी का मतलब प्रोटेक्शन, आर का अर्थ रेस्ट, आई-आइस, सी का मतलब कंप्रेशन और ई का अर्थ एलीवेशन है। स्पोट्र्स इंजरी में इसी फॉर्मूले पर ट्रीटमेंट दिया जाता है। पी में जब चोट लगी उस वक्त मौके पर क्या इलाज दिया गया। आर में पीडि़त को तुरंत रेस्ट दिया जाता है।
कुछ कॉमन स्पोट्र्स इंजरी में एसीएल-पीसीएल इंजरी, टेनिस एल्बो, हेमस्ट्रिंग मसल इंजरी, एंकल स्ट्रेन शामिल हैं। इनका रखें ध्यान
जिस हिस्से में चोट लगी है उस हिस्से की तरफ भार न दें।
चोटिल हिस्से को एक्सपर्ट की मदद से सपोर्ट दें, आराम मिलेगा।
बर्फ से सीधे सिकाई न करें इससे आइस बर्न हो सकता है। इससे उस हिस्से में खून जम जाएगा।
स्पोट्र्स इंजरी के बाद खुद इलाज करने में समय न गवाएं।
स्पोट्र्स इंजरी की वजह से उस हिस्से की ताकत खत्म हो जाती। जिसे वापस लाने के लिए फिजियोथैरेपिस्ट मसल स्ट्रेंथनिंग पावर टेक्नीक का इस्तेमाल करते हैं। मसल पावर बढ़ाने के लिए चोटिल हिस्से पर भार डालकर कसरत करवाते हैं। कुछ दिन एक्सरसाइज से प्रभावित हिस्से की मांशपेशी में ताकत आ जाती है और व्यक्ति सामान्य हो जाता है।