इसमें रोग प्रतिरोधक तंत्र शरीर के ऊत्तकों पर हमला करने लगता है जिससे दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। ज्यादातर समस्या हाथ-पैरों की अंगुलियों में दर्द से शुरू होती है। इलाज में देरी करने पर दर्द व सूजन घुटनों, कलाई, टखनों, कंधों व कूल्हों सहित अन्य जोड़ों तक फैल जाती है। रोग 4 से 5 साल या ज्यादा पुराना हो चुका है तो सूजन रक्त धमनियों व फेफड़ों में भी पहुंच सकती है। इससे फेफड़ों में सिकुड़न या क्षतिग्रस्त होने की दिक्कत हो सकती है। रक्त धमनियों में सूजन आने के कारण हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
बरतें सावधानियां –
धूम्रपान से दूरी बनाएं।
जंकफूड से परहेज करें।
घर के अंदर व आसपास साफ-सफाई का खयाल रखें।
नियमित वॉक व व्यायाम को रुटीन में शामिल करें।
जो लोग बीमारी से ग्रसित हैं वे डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाएं समय पर लें।
बीमारी के लक्षण दिखते ही टाले बगैर विशेषज्ञ से संपर्क करें ताकि परेशानी को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।
भ्रम न पालें –
कैल्शियम की कमी –
कुछ लोग मानते हैं कि अक्सर महिलाओं में कैल्शियम की कमी होने के कारण यह समस्या उन्हें ज्यादा प्रभावित करती है। यह धारणा गलत है कैल्शियम की कमी इसकी वजहों में शामिल नहीं है।
स्टेरॉयड वाली दवाएं –
यह भी एक भ्रम है कि इसमें मरीजों को स्टेरॉयडयुक्त दवाएं व पेनकिलर दी जाती हैं। गंभीर स्थिति में सीमित समय के लिए डॉक्टर स्टेरॉयड्स व पेनकिलर दे सकते हैं लेकिन यह जरूरी व स्थायी इलाज नहीं है।
ये हैं प्रमुख कारण –
आनुवांशिकता, धूम्रपान इसके प्रमुख कारण हैं। कुछ शोध में वायु प्रदूषण भी इसकी मुख्य वजह के रूप में उभरकर आया है।
शुरुआती लक्षण पहचानें –
सुबह उठने के बाद कुछ घंटों तक जोड़ों में जकड़न, दर्द व सूजन प्रारंभिक लक्षण हैं।