स्वीडन में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के प्राध्यापक लुडगर ग्रॉट ने कहा, ‘‘यह मान लेना उचित है कि स्लीप एपनिया कैंसर के लिए एक जोखिम कारक है या दोनों ही स्थितियों के जोखिम कारक हैं जैसे कि ओवरवेट। दूसरी ओर इसकी संभावना कम है कि कैंसर से स्लीप एपनिया हो सकती है।’’
शोधकर्ताओं के मुताबिक, बढ़ती उम्र कैंसर के बढ़ते जोखिम के साथ संबंधित है, लेकिन उम्र, लिंग, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), धूम्रपान और मादक द्रव्यों के उपयोग के आंकड़ों को समायोजित करने से पता चलता है कि रात में निरंतर हाइपोक्सिया से कैंसर होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।यह संबंध पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखा गया।
ग्रॉट ने कहा, ‘‘हमारा परिणाम कैंसर के जोखिम की ओर इशारा करता है जो स्लीप एपनिया से पीड़ित महिलाओं में दो से तीन गुना ज्यादा है।’’ शोध में कहा गया कि स्लीप एपनिया से लोग भली-भांति परिचित हैं, इससे खर्राटे, दिन में थकान और दिल की बीमारियों के होने का खतरा रहता है और यह सामान्यत: पुरुषों में अधिक होता है।