कारण : तनाव, शारीरिक व मानसिक रोग, अनियमित जीवनशैली और डर आदि।
गर्भावस्था व मासिक धर्म में : इस दौरान हार्मोन में बदलाव होता है, ऐसे में नींद न आने की समस्या ज्यादातर महिलाओं के सामने आती है। कई बार मासिक धर्म से पहले भी महिलाओं में नींद न आने, नींद के बार-बार टूटने, डर लगने, उठने-बैठने में तकलीफ व दिन में नींद की झपकी आने की शिकायत देखी जाती है। इसी तरह गर्भावस्था के पहले तीन माह के दौरान महिलाएं जहां अधिक नींद की जरूरत महसूस करती हैं और उनमें दिन में सोने की इच्छा रहती है, वहीं अंतिम तीन महीनों में कई बार तनावग्रस्त होने से बार-बार पेशाब आना, छाती में जलन, दर्द, डर, बेचैनी, पैरों में दर्द आदि लक्षण आ जाते हैं। इस वजह से उनका ज्यादातर समय जागते हुए बीतता है और वे सुबह थका हुआ महसूस करती हैं।
बढ़ती उम्र में : उम्र बढऩे के साथ ही शरीर के हार्मोन में बदलाव होता है। इससे अक्सर गहरी नींद की कमी हो जाती है। कई बार मैनोपॉज के दिनों के आसपास भी महिलाएं कम सोती हैं, बार-बार रात में उठती हंै और सुबह खुद को स्वस्थ महसूस नहीं कर पातीं।
उपाय यह
सोते समय कमरे में अंधेरा या मंद रोशनी रखें।
बिना किसी कारण के चिंता या भय मन में न आने दें।
सोने से पहले हल्का भोजन करें व शराब, सिगरेट व कॉफी जैसे पदार्थों से पूरी तरह दूरी रखें।
अगर नींद न आने की वजह कोई शारीरिक या मानसिक परेशानी है तो उसका उपचार तुरंत करवाएं।