एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय उसकी मुठ्ठी के बराबर होता है। औसतन 13 सेमी. लंबा, 9 सेमी. चौड़ा और भार 300 ग्राम के करीब होता है। सामान्यत: स्वस्थ व्यक्ति का दिल एक मिनट में लगभग 72-80 बार धडक़ता है। जब हृदय को रक्त नहीं मिलता है तो हार्ट अटैक होता है। यदि समय पर डॉक्टर के पास मरीज को ले जाया जाए तो उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है।
सीने के बीच में दर्द, बेचैनी, जकडऩ, पसीना आना और घबराहट महसूस होती है। पसीना आने के साथ हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं। धमनियों में रक्त प्रवाह में रुकावट के कारण अचानक सांस फूलने लगती है। कंधे व कमर में भी दर्द हो सकता है। हालांकि कई बार लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं।
२०-२५ की उम्र के युवाओं में ब्लॉकेज की समस्या बढ़ रही है। हार्ट में फैट का स्टोरेज बचपन में मोटापे की वजह से शुरू हो जाता है। फैट शरीर के अन्य अंगों में भी स्टोर होता है। हैवी कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट ज्यादा और पोषक तत्त्वों व प्रोटीन की कमी और व्यायाम न करने से दिक्कत होती है।
1. मोडिफाइबल रिस्क फैक्टर
धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के ज्यादा इकठ्ठा होने पर हाइपर टेंशन, बीपी की दिक्कत होती है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल का एचडीएल, एलडीएल, ट्राई गिलाइड का स्तर नियंत्रित होना जरूरी है। 2. नॉन मोडिफाइबल रिस्क फैक्टर
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट संबंधी दिक्कत आती है। आनुवांशिक कारणों से भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे मरीज के शरीर में ऐसे जींस होते हैं जो कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं।
इलाज : ब्लॉकेज ७० प्रतिशत से कम होने पर दवा से इलाज करते हैं। इससे अधिक होने या फायदा नहीं मिलने पर रेडियल एंजियोप्लास्टी करते हैं। जरूरत पडऩे पर स्टेंट भी लगाते हैं। कई स्तर पर ब्लॉकेज होने पर बायपास सर्जरी करवाते हैं। मरीज के डायबिटिज होने या हार्ट की मांसपेशियां कमजोर होने पर भी बायपास सर्जरी की जाती है।