scriptडायबिटीज के कुछ मरीजों में हार्ट अटैक आने पर हाथ-पैर ठंडे व सीने में दर्द नहीं होता | Some diabetes patients do not feel pain when they get heart attack | Patrika News

डायबिटीज के कुछ मरीजों में हार्ट अटैक आने पर हाथ-पैर ठंडे व सीने में दर्द नहीं होता

Published: Sep 02, 2018 03:47:54 am

हृदय धमनियों और नसों के जरिए शरीर के विभिन्न भागों में पंप कर रक्त पहुंचाने का कार्य करता है।

डायबिटीज के कुछ मरीजों में हार्ट अटैक आने पर हाथ-पैर ठंडे व सीने में दर्द नहीं होता

डायबिटीज के कुछ मरीजों में हार्ट अटैक आने पर हाथ-पैर ठंडे व सीने में दर्द नहीं होता

हृदय धमनियों और नसों के जरिए शरीर के विभिन्न भागों में पंप कर रक्त पहुंचाने का कार्य करता है। यदि आप मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज हैं तो सावधान हो जाइए। मधुमेह के कुछ मरीजों में हार्ट अटैक के वक्त सीने में दर्द व हाथ-पैर ठंडे पडऩे जैसे लक्षण दिखते नहीं हैं। ऐसे में उन्हें साइलेंट हार्ट अटैक आता है।

एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय उसकी मुठ्ठी के बराबर होता है। औसतन 13 सेमी. लंबा, 9 सेमी. चौड़ा और भार 300 ग्राम के करीब होता है। सामान्यत: स्वस्थ व्यक्ति का दिल एक मिनट में लगभग 72-80 बार धडक़ता है। जब हृदय को रक्त नहीं मिलता है तो हार्ट अटैक होता है। यदि समय पर डॉक्टर के पास मरीज को ले जाया जाए तो उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है।
दिल के दौरे के प्रमुख लक्षण
सीने के बीच में दर्द, बेचैनी, जकडऩ, पसीना आना और घबराहट महसूस होती है। पसीना आने के साथ हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं। धमनियों में रक्त प्रवाह में रुकावट के कारण अचानक सांस फूलने लगती है। कंधे व कमर में भी दर्द हो सकता है। हालांकि कई बार लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं।
ब्लॉकेज किसे और कैसे
२०-२५ की उम्र के युवाओं में ब्लॉकेज की समस्या बढ़ रही है। हार्ट में फैट का स्टोरेज बचपन में मोटापे की वजह से शुरू हो जाता है। फैट शरीर के अन्य अंगों में भी स्टोर होता है। हैवी कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट ज्यादा और पोषक तत्त्वों व प्रोटीन की कमी और व्यायाम न करने से दिक्कत होती है।
रिस्क फैक्टर
1. मोडिफाइबल रिस्क फैक्टर
धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के ज्यादा इकठ्ठा होने पर हाइपर टेंशन, बीपी की दिक्कत होती है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल का एचडीएल, एलडीएल, ट्राई गिलाइड का स्तर नियंत्रित होना जरूरी है।

2. नॉन मोडिफाइबल रिस्क फैक्टर
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट संबंधी दिक्कत आती है। आनुवांशिक कारणों से भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे मरीज के शरीर में ऐसे जींस होते हैं जो कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं।
जांचें : ३५ साल के बाद रुटीन चेकअप जरूरी है। हार्ट अटैक होने पर बीपी, पल्स रेट, लिपिड प्रोफाइल, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, शुगर का स्तर जांचते हैं। इसके अलावा २डी इको भी करवाते हैं।


इलाज : ब्लॉकेज ७० प्रतिशत से कम होने पर दवा से इलाज करते हैं। इससे अधिक होने या फायदा नहीं मिलने पर रेडियल एंजियोप्लास्टी करते हैं। जरूरत पडऩे पर स्टेंट भी लगाते हैं। कई स्तर पर ब्लॉकेज होने पर बायपास सर्जरी करवाते हैं। मरीज के डायबिटिज होने या हार्ट की मांसपेशियां कमजोर होने पर भी बायपास सर्जरी की जाती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो