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टीके के परीक्षण में पिलाया जाता है उस रोग के किटाणुओं वाला द्रव्य

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2018 03:56:18 pm

Submitted by:

manish singh

जीका के टीके पर भी चल रहा है परीक्षण, अमरीका में 15 से 35 वर्ष के उम्र वाले स्वयंसेवकों पर आजमा रहे, टीके की डोज देने के बाद यूरीन और स्टूल की जांच की जाती है।

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टीके के परीक्षण में पिलाया जाता है उस रोग के किटाणुओं वाला द्रव्य

क्रिस्टल वुडली 33 साल की हैं और जीका वायरस वैक्सीन के परीक्षण में शामिल होने से पहले मलेरिया की दवा के लिए भी हुए एक परीक्षण में शामिल हो चुकी हैं। वे कहती हैं कि जीका वैक्सीन के लिए मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन जाने के लिए बिलकुल देर नहीं होती थी और हर हाल में 10 बजकर 50 मिनट पर वहां पहुंच जाती थीं। वो कहती हैं कि जो डोज मेरे को लगाई जानी थी वे मेरे सामने ही तैयार होती थी। इससे पहले मलरेयिा से जुड़े एक परीक्षण में शामिल हो चुकी हैं। इसके लिए उन्हें एक द्रव्य को पीना होता था जिसमें मलेरिया से जुड़े किटाणु होते थे। इसके बाद स्टूल का परीक्षण किया जाता था।

चार मिलीग्राम की डोज देते थे वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों ने जो टीका लैब में तैयार किया था उसकी चार मिलीग्राम की डोज दी जाती थी जिसे डीएनए के एक छोटे से टुकड़े जैसा होता था। खास बात ये थी कि हर बार नई डोज तैयार होती थी।

लोग कहते थे हमें नहीं चाहिए जीका वायरस

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में जीका वैक्सीन के परीक्षण के लिए लोगों से संपर्क किया गया वैज्ञानिक उनके जवाब से हैरान रह गए। एनआइएच के वैज्ञानिक जूली लेजरवुड कहते हैं कि एक लोग से हमने बात की और पूरी तरह से उन्हें आश्वस्त किया उसके बाद हमें जवाब मिला ‘कोई जीका वायरस नहीं है वैक्सीन से जीका हो जाएगा’।

जिनपर परीक्षण उनकी हर हरकत पर नजर

परीक्षण में शामिल लोगों को जब जीका वैक्सीन की डोज दी जाती थी तो वैज्ञानिकों की टीम उनकी हर हरकत पर नजर रखती थी। टीका लगने के बाद शरीर का तापमान, हाथ दर्द, सिर दर्द, सुस्ती और घबराहट जैसे लक्षणों पर अधिक ध्यान दिया जाता था। परीक्षण में शामिल लोगों का बार-बार खून लिया जाता था इसलिए उनकी सेहत की जांच भी नियमित कराई जाती थी जिससे रक्त संबंधी संक्रमण का खतरा न रहे। अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक एंथनी फॉसी का कहना है कि जो महिलाएं और पुरुष इस परीक्षण के लिए तैयार हुए उन्होंने एक सराहनीय काम किया है और भविष्य में इसका फायदा पूरी दुनिया को मिलेगा।

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