स्वाइन फ्लू के लक्षण व्यापक हैं। शुरू में मरीज को खांसी, जुकाम, बदन दर्द, जी- मिचलाना, बुखार, सिर दर्द और भूख नहीं लगना होता है। कुछ मरीजों में उल्टी व पेट दर्द की भी शिकायत होती है। यदि बीमारी गंभीर रूप धारण करती है तो खांसी का अत्यधिक होना और गंभीर हो तो श्वांस की तकलीफ हो जाती है एवं मरीज को चैन नहीं मिलता है।
यदि स्वाइन फ्लू की आशंका है तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। सरकार की तरफ से यह जरूरी है कि इसकी संबंधित प्रयोगशाला या अस्पताल को इसकी जानकारी दें। पता लगते ही स्वास्थ्य विभाग का दल तुरन्त मरीज के घर पहुंचकर अन्य सदस्यों को भी इसकी दवाई देता है। इसके अलावा मरीज को अलग कमरे में रखें, उसके सम्पर्क में बिलकुल न आए, उसके कपड़े टावल रूमाल को धोकर धूप में जरूर सुखाएं।
सामान्य बुखार और स्वाइन फ्लू के लक्षणों में क्या अंतर है?
दोनों बीमारियों में शुरुआती लक्षण समान ही लगते हैं जैसे कि बुखार, जुकाम, खांसी और बदन का टूटना। यदि ये लक्षण बहुत अधिक गंभीर हों और 2-3 दिन बाद भी हालत ठीक नहीं हो रही है तो स्वाइन फ्लू का खतरा होता है। खांसी में सामान्य दवा से आराम नहीं आना, सांस की तकलीफ बढऩा स्वाइन फ्लू की आशंका को बढ़ा देते हैं।
इससे बचाव के उपाय बताएं ?
जिस शहर या इलाके में यह बीमारी फैल रही है वहां भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। मरीज जिसको खांसी जुकाम है, उससे कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखें और हाथ नहीं मिलाएं।
किन मरीजों के लिए यह ज्यादा घातक होता है?
गर्भवती महिलाएं, बच्चे, बूढ़े, जिनको सांस की तकलीफ है, मधुमेह और कैंसर ग्रसित लोगों में यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। इनके साथ ही ऐसे व्यक्ति जिनकी पहले से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।