स्वाइन फ्लू के मरीजों की तीन श्रेणियों के अनुसार करते हैं जांच व इलाज
जयपुरPublished: Apr 13, 2019 10:29:02 am
स्वाइन फ्लू हो गया है तो घबराइए नहीं। इसकी तीन श्रेणियों में जांच व इलाज किया जाता है।
ए, बी और सी श्रेणियों में विभाजित
स्वाइन फ्लू की जांच को केन्द्र सरकार की ओर से तीन (ए, बी और सी) श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
ए: हल्का बुखार, जुकाम, खांसी, गला खराब, सिर्द दर्द, उल्टी , पेट में दर्द होता है। इस श्रेणी में कोई जांच की जरूरत नहीं होती है। विशेषज्ञ की सलाह पर दवा लें। 24 से 48 घंटे बाद विशेषज्ञ को वापस दिखाएं।
बी: इसे वन एंड टू में दो श्रेणियों मे बांटा गया है।
बी वन: तेज बुखार, सिर दर्द, पेट दर्द, जुकाम, खांसी, छींक आना, गला खराब होना, उल्टी-दस्त आदि लक्षण होते हैं। इसमेें जांच की जरूरत नहीं होती है। विशेषज्ञ की सलाह पर एंटी वायरल स्वाइन फ्लू दवा लें।
बी टू: पांच साल के बच्चे व 65 साल से ज्यादा बुजुर्ग जिनको डायबिटीज हो। जिनकी किडनी व लिवर खराब हो, कैंसर, गर्भवती महिला हो, या फिर जिनको क्रोनिक बीमारी हो। यदि इनको श्रेणी ए के लक्षण भी हो तो भी दवा शुरू करनी चाहिए। इसमें जांच की जरूरत नहीं होती है।
सी श्रेणी में तेज बुखार, जुकाम, खांसी, छींक, गला खराब, ज्यादा सिर्द दर्द , उल्टी-दस्त या पेट में दर्द, सांस में दिक्कत, कफ में ब्लड आना, ब्लड प्रेशर कम होना, शुगर की मात्रा बढ़ जाना, शरीर नीला हो जाता है। इस तरह के मरीज को भर्ती कर जांच करवाई जाती है।
इन बातों का रखें ध्यान
स्वाइन फ्लू से श्वसन तंत्र पर असर पड़ता है। ऐसे में विशेषज्ञ मरीज को घर पर ही रहने की सलाह देते हैं। मास्क लगाएं। दूसरों के सम्पर्क से दूर रहें। हाथों को बार-बार धोएं। खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें। तरल पदार्थ लें।
ये होती है जांच: स्वाइन फ्लू का वार्ड अलग होता है। इसकी जांच के तौर पर ब्लड का सैंपल लेते हैं। चेस्ट का एक्स-रे किया जाता है। आरटीपीसीआर मुख्य जांच है।
इलाज: ए श्रेणी में बुखार, खांसी, उल्टी-दस्त की दवा लें। एस्पिरिन न लें। बी श्रेणी में एंटी वायरल दवा लें। सी श्रेणी में एडमिट करवाना है। एडमिट करते ही स्वाइन फ्लू की दवा शुरू कर दी जाती है।
डॉ. दिनेश शर्मा, सीनियर फिजिशियन