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मुंह से दुर्गंध आना भी है डायबिटीज का लक्षण

Published: Jul 16, 2017 05:14:00 pm

मधुमेह की समस्या खराब लाइफस्टाइल, खानपान और हाई कोलेस्ट्रॉल से भी हो सकती है।

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लाइफ स्टाइल में बदलाव कर डायबिटीज से लड़ा जा सकता है। कुछ अहम लक्षणों को पहचानकर रोग को बढऩे से रोका जा सकता है। 
कीटाणु बनते बदबू की वजह
मुंह से दुर्गंध आने की समस्या डायबिटीज के कारण भी हो सकती है। हमारे दांत की एलविओलर हड्डी और मसूढ़े मांसपेशियों से जुड़े होते हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों में शुगर लेवल अनियंत्रित होने पर उनके मसूढ़े कमजोर हो जाते हैं। इससे दांतों के बीच खाली जगह बनने लगती है जहां भोजन के दौरान खाने के अवशेष फंस जाते हैं। इनमें धीरे-धीरे कीटाणु पनपने लगते हैं जो मुंह में बदबू की वजह बनते हैं। रोगी माउथवॉश या जेल का प्रयोग न करें क्योंकि इनमें अल्कोहल हो सकता है जिससे मुंह में बदबू की समस्या बढ़ सकती है। 

दांत की तकलीफें करती इशारा 
दांत से जुड़ी तकलीफें मधुमेह के रोगियों में ज्यादा होती हैं। ऐसे में उनमें पायरिया का खतरा बढ़ जाता है। दांत कमजोर होने के साथ मसूढ़ों में सूजन व तेज दर्द होता है। इनमें संक्रमण के कारण दांतों का रंग बदलने लगता है जिससे इनमें हल्का सा कालापन आ सकता है। मसूढ़ों में होने वाले छोटे-छोटे छेदों से बैक्टीरिया या अन्य संक्रमण का फैलाव बढ़ जाता है जो रक्त में मिल कर हार्ट डिजीज को जन्म देते हैं। डायबिटीज के मरीज को दांतों की मजबूती के लिए दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए।

… और ज्यादा हो सकता है हार्टअटैक का खतरा
डायबिटीज के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में इससे हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा भी रहता है जिससे रोगी को हार्टअटैक भी आ सकता है। ऐसे मरीज जो डायबिटीज में शुगर लेवल नियंत्रित नहीं रखते उनकी रक्तवाहिकाओं में वसा की मात्रा बढऩे से थक्के बनने लगते हैं और ये कठोर हो जाती हैं। इन कारणों से रक्तसंचार प्रभावित होता है और हृदयरोग व हृदयाघात से मरीज घिर सकता है। इन मरीजों को ब्लड शुगर की नियमित जांच करानी चाहिए। 

अधिक प्यास लगना
शुगर के स्तर के बढऩे से यूरिन ज्यादा बनने लगता है जिससे व्यक्ति को बार-बार प्यास लगती है।

ऐसे रहें सावधान
कारण : अधिक वजन, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, मानसिक तनाव, नींद में कमी और आनुवांशिक कारणों से डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है।

जांच : रक्त में शुगर के अनियंत्रित स्तर की जांच करने के लिए खाली पेट मरीज की शुगर की जांच व नाश्ते के दो घंटे बाद ब्लड की जांच होती है। 

इलाज: खानपान, एक्सरसाइज और दवाओं के जरिए उपचार किया जाता है। दवाओं और इंसुलिन की मदद से मरीज के शुगर लेवल को नियंत्रित करते हैं।

ध्यान रखें : नियमित एक्सरसाइज करें। वजन को कंट्रोल रखें। जितना हो सके वसा की मात्रा कम ही लें, तली-भुनी चीजों से परहेज करें और पर्याप्त नींद लें।

अंधापन
शुगर के स्तर का बार-बार कम या ज्यादा होना आंखों की रोशनी को प्रभावित करता है। लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करने से व्यक्ति अंधा हो सकता है। ऐसे में इसे हल्के में न लें।

पैरों की समस्या
शुगर लेवल बढऩे से पैरों की मांसपेशियों में दर्द, नसों को क्षति, रक्तसंचार में दिक्कत आती है। ध्यान न देने पर गैंगरीन की समस्या हो सकती है जिसमें अंग काटने की स्थिति भी आ सकती है।
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