रोग और उपचार

निपाह वायरस से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

केरल में फैले निपाह वायरस (एनआईवी) ने लोगों के बीच डर का माहौल बना दिया है।

May 22, 2018 / 12:50 pm

जमील खान

Nipah Virus

केरल में फैले निपाह वायरस (एनआईवी) ने लोगों के बीच डर का माहौल बना दिया है। राज्य सरकार भले ही हालात पर काबू पाने का बखान कर रही है, लेकिन सवाल खुद को इस संक्रमण से बचाने का है। इस बीमारी के फैलने के साथ ही हमें एक और लड़ाई के लिए तैयार रहना है। यह एक प्रकार के चमगादड़ से फैलती है। संक्रमित जीवों के साथ सीधे संपर्क से बचने के अलावा, जमीन पर गिरे फलों का उपभोग करने से बचना जरूरी है। यह स्थिति इसलिए भी मुश्किल हो जाती है, क्योंकि इस बीमारी के लिए अभी कोई टीका या दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है।

इसके इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है। वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बेहोशी और मतली शामिल होती है। कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान और निगाह का धुंधलापन महसूस हो सकता है। लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीडि़त के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

इस तरह बच सकते हैं वायरस से
सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो। चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाए। पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें। बीमारी से पीडि़त किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें। यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें। आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें। निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है। मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें।

जब इंसानों में इसका संक्रमण होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है। एनआईवी की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी। यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं।

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