वायरल फीवर की तरह होते हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण। एच१एन१ वायरस के संपर्क में आने के 24 से 48 घंटे में लक्षण सामने आते हैं। लंबे समय से खांसी, 99.9 डिग्री फेरनहाइट से ज्यादा बुखार, गला खराब होना, नाक बहना, सांस फूलना आदि महसूस होने लगें तो ये स्वाइन फ्लू की ओर इशारा करते हैं।
अधिक खतरा: क्रॉनिक खांसी, अस्थमा व सांस संबंधी समस्या के रोगी, मधुमेह, धूम्रपान करने वाले, गर्भवती महिला व 65 से अधिक उम्र के बुजुर्ग।
बचाव : जिन्हें रोग का खतरा अधिक है वे बचाव के लिए टीके लगवाएं। इससे दो माह बाद शरीर में इम्युनिटी विकसित होती है। 60-80 प्रतिशत मामलों में यह टीका प्रभावी है। दूसरों को रोग न फैले इसलिए रोगी मास्क लगाएं। कुछ दिन अलग कमरे में रहें ताकि अन्य में इसकी आशंका न बढ़े।
जांच-इलाज : फिजिशियन डॉ. सुनील महावर के अनुसार डॉक्टरी सलाह से जांचें कराएं जिसमें प्रमुख रूप से स्वैब टैस्ट करते हैं। विशेषज्ञ लक्षणों व रोगी की अवस्था के आधार पर दवा देते हैं। खुद दवा न लें। 5-7 दिन में रोगी ठीक हो जाता है।