रेडिकल तकनीक से ऐसे होता प्रोस्टेट का इलाज
जयपुरPublished: Apr 30, 2019 04:03:45 pm
फेफड़ों के कैंसर के बाद पुरुषों को होने वाला यह दूसरा प्रमुख कैंसर है। यदि शुरुआती स्टेज पर ही इसका पता चल जाए तो रेडिकल प्रोस्टेट तकनीक से इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि बढऩे की समस्या आम
पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि बढऩे की समस्या आम है। ज्यादातर यह तकलीफ 50 साल की उम्र के बाद सामने आती है। यदि समय रहते इलाज न कराया जाए तो यह कैंसर का भी रूप ले सकती है। फेफड़ों के कैंसर के बाद पुरुषों को होने वाला यह दूसरा प्रमुख कैंसर है। यदि शुरुआती स्टेज पर ही इसका पता चल जाए तो रेडिकल प्रोस्टेट तकनीक से इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है।
कारण
आनुवांशिक, उम्र बढऩे पर हार्माेन असंतुलन व खराब जीवनशैली।
लक्षण
शुरुआती लक्षणों का आमतौर पर पता मेडिकल जांच से ही चल सकता है क्योंकि प्रोस्टेट से जुड़ी किसी भी समस्या में बार-बार या रुक-रुक कर यूरिन आना, यूरिन के दौरान जलन या दर्द आदि शामिल हैं। परेशानी बढऩे पर पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द, सुस्ती, जांघों के ऊपरी हिस्से में दर्द या मरोड़ व पैरों में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
जरूरी जांचें
शुरुआती जांच के तौर पर पीएसए टैस्ट (ब्लड टैस्ट) और रेक्टल एग्जामिनेशन किया जाता है। संदेह होने पर प्रोस्टेट की बायोप्सी कराकर कैंसर का पता लगाया जाता है।
ऐसे होगा उपचार
बीमारी की पहली स्टेज में रेडिकल प्रोस्टेट तकनीक से इलाज किया जाता है। इसमें पेट के निचले हिस्से में चीरा लगाकर, लेप्रोस्कोप के जरिए या रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से प्रोस्टेट ग्रंथि को निकाल दिया जाता है और ब्लैडर को सीधे यूरिन पाइप से जोड़ दिया जाता है। हालांकि इस सर्जरी के बाद कई बार यूरिन लीक होने की समस्या हो सकती है लेकिन समय के साथ यह ठीक हो जाती है। यदि कैंसर प्रोस्टेट के अलावा हड्डियों, गांठों या किसी अन्य अंग में फैल चुका हो तो हार्मोन थैरेपी या कीमोथैरेपी से भी इलाज किया जाता है।
डॉ. समीर खन्ना, सीनियर यूरोलॉजिस्ट