इसके प्रमुख कारण
1980 में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार अस्थमा का मूल कारण कारखानों और वाहनों का धुआं था। 1990 में एक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें यह पता चला कि अस्थमा का मुख्य कारण धूम्रपान है। अस्थमा किसी भी चीज से एलर्जी होने से भी होता है। इसकी वजह खाने पीने की चीजों के साथ कपड़े और अन्य वस्तुएं भी हो सकती हैं।
खाने-पीने की वस्तुओं में दूध, मछली, मांस किसी तरह का ड्राईफू्रट या फिर फास्टफूड भी आते हैं। ऐसी चीजें जिनमें सल्फरडाइऑक्साइड होता है, उन्हें खाने से कुछ लोगों को एलर्जी होने पर अस्थमा की समस्या हो जाती है। कई बार किसी फूड को सूंघने से भी एलर्जी हो जाती है। जो लोग तनाव में रहते हैं या फिर मानसिक पीडि़त होते हैं उन्हें संवेगात्मक अस्थमा हो सकता है।
आयुर्वेदिक तरीकों से उपचार
विशेषज्ञ डॉ. आशा शर्मा के अनुसार अस्थमा से पीडि़त लोगों को अपने आहार में जौ, गेहूं और चने के मिश्रण से तैयार रोटी खानी चाहिए।
इस रोग में बकरी का दूध पीना काफी उपयोगी होता है।
अदरक का रस 1-2 चम्मच की मात्रा में लेकर गुनगुना करके पीने से भी लाभ होता है। यही प्रयोग लहसुन के साथ भी किया जा सकता है।
अस्थमा की वजह से नींद न आने पर नाक में सरसों का तेल या गाय का घी लगाएं।
लहसुन की 10 कलियों को आधा लीटर दूध में तब तक उबालें जब तक कि यह आधा न रह जाए। इसे ठंडा होने पर प्रयोग में लाएं।
सौंठ का चूर्ण 1-2 ग्राम की मात्रा में एक गिलास दूध के साथ लेने से भी अस्थमा में आराम मिलता है।
आयुर्वेद में मरीज की स्थिति के हिसाब से विशेषज्ञ श्वासकोठार रस, मृगश्रृंग भस्म, अभ्रक भस्म, गिलोय सत्व और शहद से तैयार कॉम्बिनेशन मेडिसिन का प्रयोग भी करते हैं।
ध्यान रहे: अस्थमा में मांसाहार नहीं करना चाहिए। जंकफूड, तला-भुना व उड़द की दाल से परहेज करें। तला हुआ खाना भी पड़े तो उसके बाद ठंडा पानी न पिएं क्योंकि यह सांस नली को सिकोडऩे का काम करता है। ऐसे में गर्म पानी ही पिएं।